कुछ अजीब सा मेरे मुल्क का अब मौसम हो गया है, उनकी ज़रा सी चोट पर सारे मिडिया को गम हो गया है किसी के घर की रौशनी बुझी, उसका जिक्र नहीं करेंगे, हेमा को जरा सी चोट क्या लगी सबको जख्म हो गया है प्यारी सी गुड़िया चली गयी किसी की लापरवाही से उसकी परवाह नहीं लगता है मुल्क में इंसान कम हो गया है हेमा से ऐसे मिलने जा रहे हैं सारे के सारे रहनुमा जैसे टुट गया हो पहाड़, इन पर कोई सितम हो गया है उस माँ की चिंता भी कर लो बेगैरतो जिसक गुड़िया चली गयी !!! उतार देंगे अगले चुनाव में अगर लाल बत्ती का ज्यादा अहम हो गया है, ये मत भूलना की जनता जनार्दन हम है........
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जनता की आवाज़
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