अब कोई बात है ही नहीं,
दूर तक रात है ही नहीं.
बात मैं खुद से करता हूँ,
मेरे मुहँ में ज़ुबान है ही नहीं.
मैं दूसरों के बारे में क्या लिखने जाऊं,
मेरी अपनी कहानी है ही नहीं
तुम हो पत्थर, तुम्हें लुढ़कना है,
और आगे ढलान है ही नहीं.
एक ब्लॉगर हूँ ऐसा मैं जिसको,
ब्लॉग लिखने का गुमान है ही नहीं.
उसके तलवे भी चाट लो चाहे,
वक़्त अब मेहरबान है ही नहीं.
मेरे ब्लॉग के साथ चलते रहो,
इस सफ़र में थकान है ही नहीं.
आपका
कृष्णा नन्द राय
दूर तक रात है ही नहीं.
बात मैं खुद से करता हूँ,
मेरे मुहँ में ज़ुबान है ही नहीं.
मैं दूसरों के बारे में क्या लिखने जाऊं,
मेरी अपनी कहानी है ही नहीं
तुम हो पत्थर, तुम्हें लुढ़कना है,
और आगे ढलान है ही नहीं.
एक ब्लॉगर हूँ ऐसा मैं जिसको,
ब्लॉग लिखने का गुमान है ही नहीं.
उसके तलवे भी चाट लो चाहे,
वक़्त अब मेहरबान है ही नहीं.
मेरे ब्लॉग के साथ चलते रहो,
इस सफ़र में थकान है ही नहीं.
आपका
कृष्णा नन्द राय