Tuesday 31 December 2013

कभी - कभी दिल चाहता है कुछ ऐसा हो जाए,

आज बिता हुआ बचपन याद आया तो सोच क्यों न इस याद को अपने उसी बचपन के शब्द से लिखूं..





कभी - कभी दिल चाहता है कुछ ऐसा  हो जाए,
पेपर हो पर रिजल्ट न आए..
क्लास हो पर मस्टराइन न आए,
बस में बैठे पर स्कूल न जाए
पिकनिक जाए और वापिस न आए
हफ्ते में 3 दिन हो और फिर संडे आए...
सोते रहे  दिन भर, शाम को घूमने जाएँ ....
रात को पढ़ने बैठे और लाइट चली जाए..
हम बिलकुल न पढ़ें और पास हो जाएँ...
सब दोस्त एक साथ रहे और छुट्टियां मनाएं .....
पहली नज़र में हर लड़की से प्यार हो जाए...
जिससे चाहते है दिल से वो हमेसा के लिए अपना हो जाए...
बारिश में भीगें और जोर से गाएँ...
भीड़ से दूर एक दुनियाँ बनाएं..
साड़ी ज़िन्दगी बस यूँ ही कट जाए,
काश ये सारे सपने सच हो जाएँ...
कभी कभी दिल चाहता है कुछ ऐसा हो जाए.....

कृष्णा नन्द राय

Saturday 28 December 2013

अरविन्द जी मौका मिला है चौका मार दीजिए...



बहुत दिन ब्लॉग नहीं लिख पा रहा था, रोज़ नए मुद्दे आते थे नयी सोच और इसी चकर में मेरी सोच किसी  एक मुद्दे पे न होकर सब पे चली जाती है.... चुनावों का समय था, नतीज़े आए बीजेपी को  बढ़त मिली  पर दिल्ली में उथल पुथल थी कौन सरकार बनाएगा, बीजेपी को बढ़त थी पर इतनी बढ़त भी नहीं कि सरकार बनाई जाए... 'आप' पे सबकी नज़र थी कि वो कुछ करे... पर  आप ने कह दिया था कि न वो समर्थन लेंगे न देंगे... अब कांग्रेस के बारे में क्या बोलू वो तो खीझीआई बिल्ली हो गयी है... पंजा मरती रहती है सब पे... नाराज़ मत होना कांग्रेस भाई  लोग अब नाराज़ हो तो येही लिखूंगा न... खैर अपनी मुद्दे पे आता हूँ कोई ये  बोल  रहा था कि वो रचनात्मक विपक्ष कि भूमिका निभाएंगे तो कोई कह रहा है कि नहीं हम बैठेंगे विपक्ष में.. हम तो कंफ्यूज हो गए थे कि ये क्या हो रहा है किसी को सरकार कि लालच नहीं है, फिर याद आया कि  लालच तो सबको है पर बहुमत नहीं है.. और कौन किसको बहुमत देगा ये फाइनल ही नहीं हो रहा था.. कोई किसी को दो मुहा सांप कह रहा था तो कोई "आप" को सांप का भाई कह रहा था... आप बीजेपी के साथ गठबंधन करना नहीं चाहती थी, कांग्रेस बीजेपी के साथ नहीं कर  सकती... उप - राज्यपाल जी का निमंत्रण गया बीजेपी के पास सरकार बनाने के लिए क्यों सब से बड़ी पार्टी वही थी.. पर बीजेपी ने साफ़ मन कर दिया कि वो सरकार नहीं बनाएगी l 
वाह जी वाह !!! क्या खूब बीजेपी जिस नाम से पहले जानी जाती थी "पार्टी  वित् डिफ्फर" वही फिर किया सब से अलग... खैर ये बीजेपी का खुद का एजेंडा था उसको पूरा बहुमत था नहीं न वो किसी से लेना चाहती थी न उससे कोई देना चाहता था... दूसरी तरफ कांग्रेस ने उप - राज्यपाल जी को चिट्ठी लिख के "आप" को समर्थन दे कि बात  कही,  अब बारी  आयी आप कि उप - राज्यपाल जी का निमंत्रण गया आम आदमी पार्टी   को आप ने उप - राज्यपाल जी से वक़्त माँगा  कि वो जनता से पूछेंगे कि कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाए या न बनाए... समय मिल गया जनता से जवाब मिला कि बनाइए... उप - राज्यपाल जी को आप ने चिट्ठी लिखी और सरकार बनाने कि बात कही... और आज अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री का पद संभाला... जनता ने इनको मौका दिया है और मैं इनको ऑल दी  बेस्ट कहता हूँ ताकि ये चौका मारे.... अरविन्द जी ऑल दी बेस्ट...

आपका 
कृष्णा नन्द राय

Thursday 19 December 2013

आजकल के हालात पे.....


लिखने जो बैठा मैं आजकल के हालात पे
दर्द नज़र आया मुझे लोगो कि बात में
जब लिखने को सोचा कोई मुद्दा
पहले मेरा किस्सा लिखो, कहे हर जुल्म
ब्लॉग भी कहने लगा भरकर आँखों में पानी
मत लिखो मेरे ऊपर दर्द भरी कहानी
चारो तरफ है देखो हिंसा का बोलबाला
कानून को लग गया है जैसे ताला
सरे आम बलात्कार, क़त्ल हो रहे है इस देश में
न जाने कौन मिल जाए किस भेष में
जी भर गया है अब तो तन्हाई से
विश्वास उठ गया है इन्सान का इन्सान से
आदमी डरने लगा है अब तो अपनी परछाई से
बेगुनाहों को मारने और लड़कियों को तंग करने के तरीके परमानेंट हो गए है
बदमाश तो जैसे यमराज के एजेंट हो गए है
ज़ुर्म से लथपथ हर वादी हो गई है
दुनियाँ ऐसी ख़बरें सुनने की आदी हो गई है .......

आपका
कृष्णा नन्द राय

Friday 6 December 2013

निजी जीवन कि कोमल सी डोर कहीं टूट न जाए...




एक दिन मैं अपने एक दोस्त के साथ कॉफी हाउस में गया था... वहाँ जो कुछ भी देखा वह लिख रहा हूँ.. एक लड़का - लड़की कॉफी हाउस में अंदर आते है... दोनों एक कोने में बैठ गए ऑडर किया और फिर दोनों बात करने लग गए... उनके मोबाइल फ़ोन टेबल पर रखे हैं, अब उनकी नज़र सिर्फ फ़ोन पे होती हैं..l जाहिर हैं, दोनों साथ में कुछ वक़्त बिताने आये हैं l लड़की सीरियस होकर कुछ उससे बोलती है, कुछ पूछती है l इस बीच लड़के के फ़ोन की स्क्रीन पर लाइट जलती है, और वह लड़की की  बात अनसुनी कर के मोबाइल पे कुछ टाइप करने लगता है, फिर टेबल पे रख देता है l लड़की फिर बात आगे बढाती है, लड़के की नज़र सिर्फ फ़ोन पे होती है... लड़की बोलती है रवि मैं कुछ बोल रही हूँ कुछ बोलते क्यों नहीं हो... फिर लड़के के नज़र ऊपर उठती है और बोलता है, yes अब बोलो.. लड़की बोलती है की हम यहाँ कुछ ज़रूरी बात करने आए है तुम हो की मेरी बात नहीं सुनते l  लड़का उत्तर देता है सुन रहा हूँ बोलो, लड़की फिर बोलती है लड़के की नज़र कभी फ़ोन पे कभी लड़की की तरफ.. इतने में लड़के के फ़ोन की लाइट फिर जलती है, कुछ टाइप करता है.... फिर फ़ोन को टेबल पे रख देता है, लड़की का गुस्सा छुपाये छुप नहीं रहा है ... शायद उसके मन में ये सवाल जरुर चल रहा होगा की लड़के को किसी और से ही बात करनी है तो उसके साथ क्यों आया... l  लड़की ने सोचा होगा चलो कॉफी हाउस में कोई डिस्टर्ब नहीं करेगा बात ठीक से होगी... पर यहाँ भी फ़ोन था डिस्टर्ब करने वाला.. आगे बताता हूँ क्या हुआ, बैकग्राउंड में 'लव इन टोक्यो ' फ़िल्म का गाना बज रहा है - "तुम मेरे साथ होते हो, कोई दूसरा नहीं होता" l
जब कोई अपना हमसे वास्तविक रूप से दूर होता है तब हमारा दुखी होना जायज़ है, पर अगर इंसान शारीरिक रूप से हमारे साथ होकर मानसिक रूप से किसी अन्य के साथ हो तो शायद साथ होने की सुखद भावना के साथ इससे बड़ा धोखा कुछ और नहीं हो सकता l ऐसे धोखे या दिखावे पहले भी होते रहे है लेकिन आज मोबाइल और इंटरनेट ने बेवफाई और अकेलेपन के जिस घिनौने चेहरे को उजागर कर दिया है, वह समाज के लिए सचमुच एक नया अनुभव है l पति - पत्नी क दूसरे के साथ बैठकर किसी और से "चैट" करते है, बच्चे माता - पिता के सामने फ़ोन पर अपने दोस्तों के साथ चैट, विडिओ, फ़ोटो "शेयर" करते है l पापा - मम्मी से कम बात करनी है पर फ़ोन पे अधिक चैट करनी है l सूचना तकनीक के क्षेत्र में आई क्रांति ने हमारे हाथ में वो ताकत दे दी है, जिससे हम दुनिया के दूसरे कोने में बैठे इंसान से साथ पल भर में जुड़ जाते है, बात करने लगते है, जो नहीं जुड़ता उसको भी फेसबुक महाराज जी जोड़ ही देते है कहीं न कहीं से..
परंतु इसी के साथ यह एक कड़वा सच है कि तकनिकी  क्रांति ने हमे इतना असहाय बना दिया है कि हम खुद से दो फिट दूर बैठे इंसान के साथ प्रेम और शांति के दो पल भी नहीं बिता सकते l ..
वक़्त आ गया है तकनीक के सीमित इस्तेमाल को एक मूल्य के रूप में विकसित करे l उसे सिविक सेंस का हिस्सा बनाना होगा l एक बार हम सबको फिर सोचना होगा कि क्या हम किसी तकनीक को अपने निजी जीवन में दखल करने देंगे.? क्या ये मोबाइल फ़ोन, इंटरनेट हमारी निजी जीवन से भी जादा जरुरी है..?
सोचिए और अपना सही फैसला चुनिए, इससे पहले कि कही देर न हो जाए, और निजी जीवन कि कोमल सी डोर कहीं टूट न जाए.... फैसला आप के हाथ में है...
आपका
कृष्णा नन्द राय

Thursday 5 December 2013

दिल्ली कि जनता किसको क्या बनाती है!

15 साल पहले प्याज ने सबको रुलाया था, और इतना रुलाया था कि उस समय सत्ता पे काबिज बीजेपी को भी रोना पड़ा था, और दिल्ली कि जनता ने सत्ता दूसरी पार्टी को दे दिया.... इस साल भी प्याज ने खूब रुलाया पर इस बार सत्ता में बीजेपी नहीं कांग्रेस है... अब जनता किसको रुलाएगी ये भी जल्दी पता चल जाएगा .......प्याज का मुद्दा ही कुछ  ऐसा है... रंक को राजा और राजा को रंक, बना देती है.... कौन राजा बनेगा और कौन रंक..?? देखना है दिल्ली कि जनता किसको क्या  बनाती है!!!!!!!!!!!.....क्योंकि अब ये मुद्दा जनता का है, और सोच मेरी.....

Monday 2 December 2013

कोई याद न बन जाए




आज कल इलेक्शन के काम में व्यस्त ( busy ) हूँ, इसलिए ब्लॉग लिख ही नहीं पता, बिना लिखा ऐसा लगता है जैसे कुछ छूट सा गया है..l आज थोडा समय मिला तो सोचा क्यों न ब्लॉग ही लिख लिया जाए.. मुद्दे है  सोच भी है .. पर लिखने कि फुर्सत नहीं है.. ये तो चाहिए ब्लॉग लिखने के लिए पर इतनी फुर्सत कहां है... पर जो भी है इसी समय में लिख दूँ कुछ ताकी ऐसा न लगे कि कुछ छूट सा गया है... आज अर्चना ऑफिस में ही था बहार लंच के लिए गया तो अपनी ओखला कि टीम याद आ गयी... ओह्ह्ह!!!!!!!! खो सा गया उनकी बातों को याद करके हसना लगा मन ही मन, दोस्तों कि बातों पे... आज कोई नहीं था मेरे साथ लंच के लिए... सिर्फ थे तो वो अनजान चहरे जिसे न मैं जनता था न वो लोग मेरे चहरे को... चुप चुप जा के दादा कि वैन के पास खड़ा हो गया l राजमा चावल मंगाया अब भूख लगी थी, खाना सामने देख के कौन याद आता है.... बैठ गया खाने और ले ली एक कोल्ड्रिंक, खाने और पिने के बाद एक बार फिर दोस्त लोग याद आते है... बड़ा अच्छा लगता है जब हम सब साथ होते है... हस्ते है नाराज होते है एक दूसरे पे चिलाते है... एक दूसरे से बात नहीं करते फिर क्या वही होता है जो सिंघम फ़िल्म में हुआ कुछ भी करो पर इगो हर्ट नहीं करने का... अब यहाँ तो इगो क्या पूरा का पूरा दिमाग ही हर्ट हो जाता है... फिर हमारी प्यारी सी पतली सी टीम लीडर उस इगो हर्ट को ख़तम कर देती है.... हा हा हा.... बड़ी हसी आ रही है मुझे लिखते समय ये सब..... इसे प्यार नहीं कहेंगे तो और क्या कहेंगे ..? सुबह - सुबह ऑफिस आना कोई समय पे आता है कोई 10  मिनट लेट ...l सब आ गये पर कुछ लोग है जो सबसे लेट आते है,  एक तो वो लड़का लेट है... जो ये ब्लॉग लिख रहा है जिसे ब्लॉग लिखने कि बीमारी लग गयी है .... लिखते समय भी हॅस रहा है.नाम पढ़ लेना जैसे लेट आता है उसकी तरह नाम भी लेट ही लिखता है अपना लास्ट में ..  एक और लेट आता वो है ऑडियंस डिपार्टमेंट का युवराज..... ये दोनों लड़के लेट आते है... अब ये दोनों लड़के ऑटो से आते थे... आब कुछ दिन से अलग आते है क्यों कि बेचारा एक कॉलेज जाता है, खैर मैं ऑटो के बारे में लिख रहा था तोह ये दोनों लड़के ऑटो में एक दूसरे को सॉरी बोलते है कि मैं तेरी वजह से लेट हुआ तो और अगेरा वगेरा जो लिख नहीं सकता न... फिर ऑफिस पहुचते है... सोचते है है आज क्या बोला जाए बॉस को.... कुछ पता नहीं... फिर डिपार्टमेंट में घुसते है ऐसा मनो कि इन् दोनों से तो शरीफ़ कोई है ही नहीं.... फिर बॉस को सॉरी बोलते है अगली बार लेट न आने का वादा करते है... बॉस तो सुना देती है... थोडा सुन लो क्या हुआ लेट जो आए फिर दोनों बैठ जाते है... अब शुरू होता है हाय ! हेल्लो का समय हाय साद, हाय  अमृता, तस्नीम, अदिति, वत्सला, और कुछ नए आए है उनको भी उनका नाम भी बताऊंगा... फिर पीओए ( POA ) देखते है...फिर मैं साद से पूछता हूँ क्या है... फिर साद बोलता है देख भाई जो लिखा है तेरे सामने है.. अच्छा जी चलो कोई नहीं... पीओए तो करेंगे पहले फेसबुक कर लेते है... सबसे कोने में बैठता हूँ बॉस देख नहीं पाती... कभी बॉस देख के भी अनदेखा कर देती है.... फिर फेसबुक बंद कर के अपनी बॉस के पास जाता हूँ l  हाय!!!!!! गीतीका मैम... उनका रिप्लाई भी आता है हाय!!!!! फिर उनसे बात करता हूँ, कुछ बोलती है तो मैं कभी बोल देता हूँ क्या गीतीका मैम आप न !!!!!! हा हा हा .... गीतीका मैम बोलती है तू चला जायेगा तो तेरे ये वर्ड्स ( WORDS ) याद करुँगी... !!!!! अब  मैं किस्से बात करूँगा मैं खुद नहीं जनता  क्योंकि जब तक सब से बात न कर लूँ तब तक चैन से बैठ नहीं सकता... सबको पकाता हूँ थोडा या जादा.... फिर काम करता हूँ... फिर कुछ नए चेहरों के साथ घुलना चाहता हूँ फिर उनसे बात करता हूँ.. अपनी खुद कि ही तारीफ़ करने में लग जाता हूँ... मैंने इस शो के लिए ये किया वो किया... लम्बी लम्बी फेंक देता हूँ, फेंकने में क्या जाता है... वो लोग भी बोलते है वाह !!!! आप तो कमाल के हो.... यही तारीफ़ तो सुनना चाहता हूँ... और इन् नए चेहरों का नाम है सलमान , और नुपुर.. अरे फ़िल्म वाला सलमान नहीं ... और आरुषि वाली नुपुर नहीं.... दोनों अच्छे है...अच्छा तो हर कोई होता है... वो तो अपने ऊपर है न.... अब  लंच के समय ... हर कोई एक दूसरे को देखता है... मेरे साथ साद बैठता है, जिसका मतलब है सादग़ी... मेरे ऑफिस में सबसे करीबी दोस्त....या भाई भी कह लूँ... पर उसकी क्या तारीफ़ करूँ वो तो ब्लॉग पढता ही नहीं.... खैर साद को बोलता हूँ चलो भाई लंच के लिए फिर साद मुंडी ( गर्दन ) हिला के बोलता है हूँ.... फिर अमृता को, इनके नाम का मतलब है वो धार्मिक या अमृत जल जिसको पिने से हर कोई अमर हो जाता है.... या यूँ कहूं तो जो कभी खत्म नहीं होता,  ये बंगाल से आयी है...बहुत दिन से बोलता हूँ ब्लॉग पढ़ो मेरा बोलती हैं पढूंगी, चलो जिस दिन पंडित जी समय बताएँगे तब ये पढ़ लेंगी... तस्नीम कुछ महीने पहले ही आयी है ये मोहतरमा.तस्नीम जिसका मतलब है स्वर्ग कि नदी .. इनका नाम मेरे ब्लॉग में बहते होंगे इन्होने, हिमत दिया ब्लॉग लिखने के लिए.... ब्लॉग पढ़ने का शौक है इनको...  अदिति पंजाबी कुड़ी...जिसकी कि कोई सीमा न  हो.... जिसको अपनी डाइट कि  बड़ी  फिकर रहती  है... लाइट खाना पसंद करती है ताकी बॉडी फैले न... पर सिगरेट कि दीवानी है ... क्योंकि उसका साथ देने वाले डिपार्टमेंट के दीवाने भी है.... युवराज डिपार्टमेंट का एजेंडा बॉय.... जिसके सवाल ख़तम नहीं होते... जिसकी हर बात एजेंडा बन जाती है चाहे वो प्रोडूसर के साथ हो या या अपने बॉस के साथ... पूजा.... इनका नाम ऐसा है कि हर सुबह याद आता है क्यों कि हर सुबह भगवान कि पूजा जो करनी होती है.... जी लगा के ये हमे बोलतीं हैं, इनके कुछ एक बार गलत भी बोल दिया था... मुह फुला लिया मैंने अपना .... फिर गलती थी मेरी माफ़ी मांगी इनसे... माफ़ भी किया पूजा जी ने .... वत्सला नयी लड़की जिसके बाल अपने आप में इतने उलझे है जैसे मैथ के सवाल जो सॉल्भ ( SOLVE ) ही नहीं होते...जो भी हो प्यारी है वत्सला..... गीतीका मैम....हमारी बॉस बहुत डरता था इनसे बहुत... पर
जब से ये हम लोगों के साथ ओखला ऑफिस बैठने लगी है... तब से बहुत अच्छी  लगने लगी है... बॉस कम दोस्त जादा लगती है... हर बात अपनी बताती है... हमारी बात भी सुनती है... चुटी काट देती है है कभी कभी... फिर क्या वही बात क्या गीतीका मैम आप भी न..... हा हा हा....बहुत भरोसा करती हमपे ... गीतीका मैम ये ब्लॉग है नहीं तो और लिखता आप के बारे में... अब  टीएल बड़ी प्यारी सी है पतली सी है.... नाम है ऐश्र्या, जो रोज़ हमे हमारा काम देती है... इन से कुछ न कुछ झड़प हो ही जाती है काम को लेकर.... कुछ और दोस्त है जिनके बारे में लिखना चाहता हूँ पर लिख नहीं पा रहा.. क्योंकि कि वो दोस्त अब याद बन के रहते है.... और मैं अपनी यादों को बस याद रखना चाहता हूँ..... अपनी सोच नहीं बनाना चाहता....
खैर जब हम लोग विक्रम ढाबे पे एक साथ होते है तो किसी और को जगह नहीं होती कि वो बैठ सके छोटा है अपना डिपार्टमेंट पर इतना छोटा भी नहीं कि विक्रम ढाबे कि 7 - 8 कुर्सियां भी न भर सके... विक्रम ढाबे पे हम लोग कैसे मस्ती करते है फिर कभी लिखूंगा....
कब लिखूंगा पता नहीं... पर जब भी लिखूंगा हो सकता है कि  जिसका नाम या पे लिखा है वो याद बन जाए, और जिसका नाम नहीं है शायद वो शब्द बन जाए..... और या हो सकता है कि फिर सब कोई मेरी याद बन जाए... क्योंकि मैं अपनी यादों को बस याद रखना चाहता हूँ शब्द बनाना नहीं चाहता..... कुछ भी हो सकता...  
ये ब्लॉग लिखने वाले लड़के का नाम है कृष्णा..... मैं कैसा हूँ, क्या हूँ..??? खुद नहीं बोलूंगा आप लोगों के बारे में बता दिया अब आप लोगों कि बारी....
आपका
कृष्णा नन्द राय