Wednesday 21 October 2015

रावण भी हो जाए...

इस समय लोग रावण भी हो जाए  वही बहुत हैं।रावण बनना भी कहां आसान रावण में अहंकार था तो पश्चाताप भी था। रावण में वासना थी तो संयम भी था। रावण में सीता के अपहरण की ताकत थी तो बिना सहमति परस्त्री को स्पर्श भी न करने का संकल्प भी था.. सीता जीवित मिली ये राम की ही ताकत थी पर
सीता पवित्र मिली ये रावण की भी मर्यादा थी....

आपका 
कृष्णा नन्द राय 

Tuesday 20 October 2015

कभी - कभी......



बस कलम मेरी खामोश हो जाती हैं
कभी-कभी 
मैं मूक हो जाता हूँ कुछ अहम से मुद्दों पे
कभी-कभी 
मेरी आवाज़ उठती नहीं खिलाफ तेरे
नजाने क्यूं मैं कुछ बोलता नहीं 
तेरी गलतियाँ हर रोज़ बढ़ती है
करवटें लेती हैं और मैं
मैं खुद में सिमटता रहता हूँ 
थोड़ा-थोड़ा सा ही मगर टूटता रहता हूँ 
कभी-कभी होता हैं ऐसा क्यूं 
मैं देखता रहता हूँ समझता रहता हूँ
फिर सब नज़र-अंदाज करकें
खामोश हो जाता हूँ
इक प्रतिउत्तर में मुन्तजिर लोग भी हैं
मैं यूं ही तेरे कारण सुनता जाता हूँ
बोलू भी तो क्या बोलू 
ये बिकी-बंधी जुबान अब कहाँ तक खोलू
इसलिए होता हैं ऐसा
बस कलम मेरी खामोश हो जाती हैं
कभी-कभी 
मैं मूक हो जाता हूँ कुछ अहम से मुद्दों पे
कभी - कभी......

आपका,
कृष्णा नन्द राय