Thursday 12 March 2015

ऊपर बैठा वो बाजीगर..जाने क्या मन में ठाने है..

इस जीवन की चादर में,
सांसों के ताने बाने हैं,
दुख की थोड़ी सी सलवट है,
सुख के कुछ फूल सुहाने हैं,
क्यों सोचे आगे क्या होगा,
अब कल के कौन ठिकाने हैं,
ऊपर बैठा वो बाजीगर,
जाने क्या मन में ठाने है,
चाहे जितना भी जतन करें,
भरने का दामन तारों से,
झोली में वो ही आएँगे,
जो तेरे नाम के दाने है,
मत डर इस जीवन में,
बहुत सारे ठिकाने है,
प्रोडक्शन नहीं तो रिपोर्टिंग है,
जीवन में ऐसी बहुत मंजिले है,
चलते रहना है हर डगर पे,
हर रोज़ नए-नए  बहाने है
पीछे मुड़ के मत देखना
क्योकि मन के हारे - हार है
मन के जीते जीत,
झोली में वो ही आएँगे,
जो तेरे नाम के दाने है,
ऊपर बैठा वो बाजीगर,
जाने क्या मन में ठाने है...
ये सब तो ब्लॉग लिखने के बहाने है...

आपका
कृष्णा नन्द राय 

महिला दिवस पे एक नया चेहरा बनी!!!!

कभी बेटी, कभी पत्नी,
कभी माँ बनी....
न जाने एक बिटिया,
क्या क्या बनी....
कभी भाभी, कभी चाची,
कभी बहन बनी....
एक बिटिया कई परिवारोँ का,
गहना बनी....
कभी ननंद, कभी जेठानी,
कभी देवरानी बनी....
अपने घर मेँ ही वो,
भूली हुयी कहानी बनी....
कभी सास, कभी दादी,
कभी नानी बनी....
उम्र के हर पड़ाव मेँ,
बस एक कुर्बानी बनी....
कभी शारदा, कभी लक्ष्मी,
कभी काली बनी....
हर रुप मेँ इस जगत की,
पालनहारी बनी....
कभी दुर्गा, कभी अवन्ति,
कभी लक्ष्मीबाई बनी....
हर युग मेँ वो,
नये इतिहास की रोशनाई बनी
कभी सोनिआ, कभी प्रतिभा तो कभी किरण बनी
भारत में महिला दिवस पे एक नया  चेहरा बनी

आपका,
कृष्णा नन्द राय