Friday 30 January 2015

शायद अब सरकार बन जाए

चुनावो के समय हर पार्टी अपना दम ख़म लगा देती है, यही  हाल आज कल दिल्ली का भी यहाँ हर पार्टी अपना दम ख़म लगा रही है, कोई झाड़ू चलाने  की बात कर रहा है, तो  कोई पंजे से झाड़ू को फेक कर कमल को तोड़ने की मंशा रखते है, खैर कौन क्या करता है यह तो 10 फ़रवरी को ही  पता चल पाएगा l  बीजेपी को डर लग रहा है शायद इसलिए बिलकुल अंत में उसने किरण बेदी  को सीएम पद के लिए  उम्मीदवार घोशित किया, शायद ये सोच कर की  इस बार पुरे कमल खिल जाए, लेकिन किरण की सभाओं में कम  भीड़ देख के बीजेपी ने सभी नेताओ को मैदान में उतार दिया ताकी  उन सब को देख के कुछ भीड़ आजाए, याद रखिए शायद लिखा है मैंने l  भीड़ बहुत ज्यादा भी हो सकती है और भीड़.... अब हर बात थोड़ी ही  लिखूंगा , खैर आज कल रैली का सफल होना न होना भीड़ पे ही निर्भर होता है चाहे पैसे देकर बुलाई गयी ही भीड़ क्यों न हो l किरण से बीजेपी को कोई किरण दिखेगी या नहीं ये भी जल्द पता चल जायेगा, NDTV  को दिए गए  इंटरव्यू में उन्होंने मान ही लिया की उन्होंने तत्कालीन  प्रधानमंत्री  इंद्रा गांधी की गाड़ी नहीं उठाई थी वो गाड़ी तब के सब- इंस्पेक्टर निर्मल सिंह ने उठाई थी l  अब कोई गलत फहमी में न रहे की किरण ने  प्रधानमंत्री की गाड़ी उठाई थी, मैं ये कह कर उनपे ऊँगली नहीं उठा रहा हूँ बस कुछ लोगो की गलतफहमी को दूर करने की कोशिश  रहा हूँ l अब बात करता हूँ आम आदमी पार्टी की, गजब की पार्टी है! अपना पहला दिल्ली इलेक्शन  लड़ा और हीरो बन गयी, और केजरी सर मुख्यमंत्री बन गए अच्छा है सिर्फ 49  दिनों के लिए शायद अपनी गलती से ये लोकपाल की वजह से नहीं और  ज्यादा दिन भी हो रह सकते थे जो भी हो इससे मुद्दे पे आम पार्टी ने माफ़ी मांग ली है, गलती  भी मानी खैर अब जो भी हो अब आम आदमी उनकी गलतियों को माफ़ करेगा या नहीं ये भी शायद के शब्द पे आकर रुक जाता है, जो भी हो आम आदमी पार्टी भी लोक सभा चुनावो में हार के बाद दिल्ली में ही रहना का मूड बना के बैठी है, शायद इसलिए की पूरी दिल्ली में सफाई अभियान को अंजाम पुरे तरीके से दे सके सफाई कूड़े कचड़े का पता नहीं पर बाकी पार्टी का दिल्ली से सफाई करने की इच्छा रखती है l  जब की उनके एक - एक कर कुछ नेता बीजेपी का दामन थाम रही है l जो भी हो जनता किसका दामन थामेगी ये सबसे जरुरी है l कांग्रेस का हाल ज्यादा  नहीं लिखूंगा क्योकि अभी वो रेस्ट मोड में है, खुद के मन से रेस्ट नहीं कर रही है, जनता ने उनको लीव पे भेजा है , खैर कांग्रेस अपनी लीव कैंसल  कराने के लिए जनता को बोल रही है, एक बार फिर भरोसा करने के लिए लेकिन पता नहीं क्यों अंत समय में अजय जी को कमान दिया गया शयद इसलिए की वो कांग्रेस की लीव  खत्म करा सके, लीव का मतलब आप लोग समझ रहे होंगे ही l  ये भी आप को आने वाले समय में ही पता चलेगा क्योकि जनता ने सबको तौल लिया है समझ लिया है l  बाकी जो भी हो, है तो राजनीति न यहाँ कोई कसी का नहीं होता शायद सब सीट के होते है l  इस बार दिल्ली को कौन मिलेगा,  नहीं मिलेगा ये भी नहीं पता क्योकि शायद शब्द पे सब आकर रुक जाता है, ये शब्द सिर्फ 10 फ़रवरी को ही हटेगा, तब तक शायद के साथ सोचते रहिए बोलते रहिए l 
(कोई बात बुरी लगे तो माफ़ करना, और मुझे किसी का दलाल मत समझना )
आपका,
कृष्णा नन्द राय

Saturday 24 January 2015

मन की बात कह रहा हूँ आजकल

रास्तों को देखिए कुछ हो गया है आजकल
इस शहर में आदमी फिर खो गया है आजकल
काँपते मौसम को किसने छू लिया है प्यार से
इस हवा का मन समंदर हो गया है आजकल
अजनबी-सी आहटें सुनने लगे हैं लोग सब
मन में कोई खूब सपने बो गया है आजकल
मुद्दतों तक आइने के सामने था जो खड़ा
आदमी वो ढूँढने ख़ुद को गया है आजकल
वो जो अब तक था धड़कता पर्वतों के दिल में
अब झील के अंदर सिमटकर सो गया है आजकल
मशीनों के साथ बैठ कर मशीन बन गया हूँ आजकल
एक महीने से सी:जी सिख रहा हूँ आजकल
कभी मोदी तो कभी ओबामा की खबर चला रहा हूँ आज कल
कोई रेडियो पे मन बात की बात करता है
मैं तो ब्लॉग पे ही मन की बात कह रहा हूँ आजकल

आपका
कृष्णा नन्द राय  

Thursday 8 January 2015

डर लग रहां है!!!

तुम्हें तलवार से डर लग रहां है,
मुझे तो यार से डर लग रहा है.
खबर पढ़ कर सुनानी है पिता को.
मुझे अख़बार से डर लग रहा है.
लगा है अब घरों में घर बनाने ,
के इस बाज़ार से डर लग रहा है.
बदन है सामने रस्मों का नंगा ,
मुझे त्योहार से डर लग रहा है.
पुराना घर है और बारिश का मौसम,
दरो-दीवार से डर लग रहा है.
बदन मंडी में बिकने को खड़े हैं,
तुम्हारे प्यार से डर लग रहा है...
धर्म के नाम पे पाखंड हो रहा है..
इनकी सचाई लिखने में डर लग रहा  है..

आपका,
कृष्णा नन्द राय