Friday 1 May 2020

मेरी युविका है वो...


घर के हर कोने में
अपनी किलकारियाँ बिखेरती है जो
अपनी आवाज़ की मधुर छनकर से
अपनी मौजूदगी का एहसास कराती है वो
घर में सबकी लाडली है जो
मेरी युविका है वो
जब भी खिलखिलाकर मुस्कुराती है
मानो हर और खुशियां बिखेर जाती है
हर काम-काज में छोटे - छोटे  हाथ बंटाती है जो
अपने आंसूओ को अक्सर हर बात में लाती है वो
मेरी खुशी और मेरी शान का हिस्सा है जो
मेरी प्यारी युविका है वो
दूर हो या पास मुझे पापा कहती है जो
मेरी प्यारी युविका है वो
मेरे बीते हुए बचपन को गुदगुदाती है जो
दिल के रिश्ते को जोड़कर बांधे रखती है वो
अपने पैरों पर खड़े होकर
सब कुछ कर लेना चाहती है वो
मेरी प्यारी युविका है वो.
कभी दादी, कभी बाबा तो कभी नानी
इन नखरों के साथ रोज़ नींद लेती है वो
मेरी प्यारी युविका है वो
मामा संग रोती भी है खेलती भी है वो
कभी मम्मी - मम्मी कह कर कभी प्यार से
अपनी रूठी माँ को मानती है जो
मेरी प्यारी युविका है वो