Saturday 16 April 2016

एक बेटी का दर्द

बेटी बनकर आई हूँ, माँ बाप के जीवन में, बसेरा होगा कल मेरा.किसी और के आंगन में...
क्यों ये रीत, रब ने बनाई होगी, कहते हैं.आज नहीं तो कल तू पराई होगी..!! देकर जनम पाल पोस कर.जिसने हमें बड़ा किया,और वक्त आया.तो उन्हीं हाथों ने हमें विदा किया..टूट कर बिखर जाती है, हमारी जिंदगी वहीं, पर फिर भी उस बंधन में..प्यार मिले जरूरी तो नहीं..क्यों रिश्ता हमारा.इतना अजीब होता है,क्या बस यही, बेटियों का नसीब होता है.....

नोट:- ये मेरा खुद का लिखा हुआ लेख नहीं है, किसी बेटी की आप बीती सुनी और लिखा।।।

एक अजनबी लड़की ( बेटी )