Thursday 20 March 2014

राज़ है ये ज़िन्दगी का बस जीते चले जाओ...

जो चाहा कभी पाया नहीं
जो पाया कभी सोचा नहीं
जो सोचा कभी मिला नहीं
जो मिला रास आया आया नहीं
जो खोया वो याद आता है
पर
जो पाया संभाला जाता नहीं
क्यों
अजीब सी पहेली है ज़िन्दगी
जिसको कोई सुलझा पाता नहीं
जीवन में कभी समझौता करना पड़े तो कोई बड़ी बात नहीं है
क्योंकि
झुकता वही है जिसमें जान होती
अकड़ तो मुर्दे की पहचान होती है
ऐसा सुना और पढ़ा है मैंने
चेहरे की हॅसी से हर गम चुराओ, बहुत कुछ बोलो
पर कुछ न छुपाओ
खुद ना रूठो पर सबको मनाओ,
राज़ है ये ज़िन्दगी का बस जीते चले जाओ......

आपका 
कृष्णा नन्द राय