Monday 24 August 2015

फेसबुक से बात....




प्रिय फेसबुक उर्फ़ चेहरे की किताब ,
कौन पिछले जन्म  में शहंशाह था कौन मंत्री था, कौन ऋतिक रौशन की तरह दीखता है कौन कटरीना कैफ़ की तरह दीखता है, कौन कब मरेगा कैसे मरेगा , किससे शादी होगी , जब तुम सब जानते हो तो क्या तुम्हे ये नहीं पता जो आदमी पिछले कुछ घंटो से तुम्हे चला रहा है वो फेक आईडी है ? फेकू और पपु बन जाते है असली वाले फेकू - पपु नहीं असली वाले तो तुम्हे चालते ही नहीं है पता नहीं क्यों ? जब की तुम्हारे  मालिक मार्क ज़ुकरबर्ग एक को बहुत फॉलो करते है किसे ये नहीं बताऊंगा क्योकि उनके चमचे बहुत है मुझे गाली देंगे, मुझे दलाल बना देंगे फेकू वाले पपु का दलाल कहेंगे और पपु वाले फेकू का दलाल कहेंगे। अब और सुनो  एक शादीशुदा आदमी जो दो घंटे से हर लड़की की पोस्ट पर ' यू आर लुकिंग हॉट ' लिख रहा है ? चार - चार गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड  रखने वाले  लड़के - लड़की  भी रिलेशनशिप सिंगल लिख रहे  है, क्या तुम उन्हें नहीं बता सकते की सुधर जाओ..? बस भी करो अब। लेकिन नहीं तुम तो कुछ लोगो के घर बिगाड़ने के मिशन पर निकले हो, जिस आदमी को मोहल्ले की रामलीला में जामवंत या ताड़िका का रोले नहीं मिलता उसे तुम फेसबुक पर आमिर खान , प्रियंका चोपड़ा जैसा बता कर उसे घर से भगाओगे क्या ? कम  से कम  ये तो सोच लो की उसके पीछे से उसके पिताजी की दुकान कौन संभालेगा ? और तो और फेसबुक हम जैसे  लोग जो स्टेटस लिखते रहते है बिना मतलब के बड़े ज्ञानी बनते है हमे भी बोलो न फेसबुक ज्ञान के लिए नहीं चैट के लिए, इतना ज्ञान बाटना है तो टीचर बन जाओ कही , क्यों नहीं बोलते तुम ये सब , देखो तुमने नहीं बोला तो मुझे बोलना पड़ा। एक  एक बात और  तुम्हारा हिंदी का नाम "चेहरे की किताब" कैसा लगा ?
 "खैर छोड़ो माफ़ करना मुझे ज्यादा ज्ञान देने क लिए "
तुम्हारा फेसबुक यूजर,
कृष्णा नन्द राय