Wednesday 23 October 2013

शायद यही मेरा मुद्दा है....




सोचता हु कुछ लिखूँ,  क्या लिखूँ  घर से चलता हूँ तो रास्ते में बहुत कुछ देखता हूँ, रुक जाता हूँ कुछ फिर सोचता हूँ उस देखी हुई चीज़  के बारे में कुछ  लिखूँ , फिर आगे बढ़ता हूँ कुछ और देखता हूँ फिर मन उधर चला जाता है, पहली चीज के बारे में भूल जाता हूँ.. दुनिया की इस उथल पुथल के सामने  भला मेरा मन कैसे  किसी एक चीज़ पे रहता... फिर भी बहुत उथल पुथल के बाद मन शांत हुआ और सोचा की अब  कुछ लिखा जाए पर क्या लिखे.... लिखने के लिए मुद्दा चाहिए जो रोज़ की इस उथल पुथल में कहीं  खो सा  जाता है.. पर आज एकदम से याद आया उस छोटे से लड़के के बारे में जो की एक बस स्टॉप पे घूम -  घूम के पैसे मांग रहा था, मन किया उससे कुछ दे दूँ , फिर एक ख्याल आया की इसे पैसे दे कर मैं इसकी सहायता कर रहा हूँ या इसकी गरीबी को बढ़ावा दे रहा हूँ... मुझे नहीं पता की मैंने उसे पैसे न देकर ठीक किया या गलत.. खैर ये तो  मेरा मुद्दा मेरी सोच थी... आगे बढ़ते है. अब उस लड़के को देख कर समझ नहीं पा रहा था की इसे हँस के भूल जाऊँ या सरकार की उन बातों को याद कर के उसकी पहेलियों (riddles ) में कहीं खो जाऊँ  जिसमें सरकार ने गरीब मुक्त भारत की बात कही  है... या बाल मज़दूर ( child  labour ) के उस कानून के बारे में सोचूँ  जो वादा करता है की कोई भी १४ (14 ) साल की कम  आयु के लड़के या लड़कियों से पैसे कमाने वाला काम नहीं करा सकता.. आखीर मेरा मुद्दा कुछ ख़ास नहीं था बस था तो इस १४ (14 ) साल से कम आयु के लड़के को पैसे मांगते देख कर सरकार की नीतियों के बारे में अपनी सोच से निकले सवालों से खुद को भी जिम्मेदार मानने लगा हूँ... आखीर हम इन बच्चो को पैसा देकर क्या साबित करना चाहते है की हम उनकी सहायता कर रहे है या  इस गरीब भारत को और गरीबी ऒर  बढ़ावा दे रहे है... जिस देश में सत्यमेव जयते हर कानून का मंत्र है.. और जिस देश में १४ (14 ) नवम्बर बाल दिवस ( children day ) के रूप में मनाया जाता है उसी देश १४ (14 ) साल से कम बच्चो से पैसो के लिए काम कराया जाता है... आख़िर क्यों ??? शायद इस का ज़वाब मिल जाये! पर इस गरीबी और बाल मजदूर ( child labour ) का क्या..??? इससे मेरे देश को मुक्ति मिलेगी या नहीं कोई नहीं जानता शायद मैं भी नहीं... यही मेरा मुद्दा था और मेरी सोच .....