Monday 2 December 2013

कोई याद न बन जाए




आज कल इलेक्शन के काम में व्यस्त ( busy ) हूँ, इसलिए ब्लॉग लिख ही नहीं पता, बिना लिखा ऐसा लगता है जैसे कुछ छूट सा गया है..l आज थोडा समय मिला तो सोचा क्यों न ब्लॉग ही लिख लिया जाए.. मुद्दे है  सोच भी है .. पर लिखने कि फुर्सत नहीं है.. ये तो चाहिए ब्लॉग लिखने के लिए पर इतनी फुर्सत कहां है... पर जो भी है इसी समय में लिख दूँ कुछ ताकी ऐसा न लगे कि कुछ छूट सा गया है... आज अर्चना ऑफिस में ही था बहार लंच के लिए गया तो अपनी ओखला कि टीम याद आ गयी... ओह्ह्ह!!!!!!!! खो सा गया उनकी बातों को याद करके हसना लगा मन ही मन, दोस्तों कि बातों पे... आज कोई नहीं था मेरे साथ लंच के लिए... सिर्फ थे तो वो अनजान चहरे जिसे न मैं जनता था न वो लोग मेरे चहरे को... चुप चुप जा के दादा कि वैन के पास खड़ा हो गया l राजमा चावल मंगाया अब भूख लगी थी, खाना सामने देख के कौन याद आता है.... बैठ गया खाने और ले ली एक कोल्ड्रिंक, खाने और पिने के बाद एक बार फिर दोस्त लोग याद आते है... बड़ा अच्छा लगता है जब हम सब साथ होते है... हस्ते है नाराज होते है एक दूसरे पे चिलाते है... एक दूसरे से बात नहीं करते फिर क्या वही होता है जो सिंघम फ़िल्म में हुआ कुछ भी करो पर इगो हर्ट नहीं करने का... अब यहाँ तो इगो क्या पूरा का पूरा दिमाग ही हर्ट हो जाता है... फिर हमारी प्यारी सी पतली सी टीम लीडर उस इगो हर्ट को ख़तम कर देती है.... हा हा हा.... बड़ी हसी आ रही है मुझे लिखते समय ये सब..... इसे प्यार नहीं कहेंगे तो और क्या कहेंगे ..? सुबह - सुबह ऑफिस आना कोई समय पे आता है कोई 10  मिनट लेट ...l सब आ गये पर कुछ लोग है जो सबसे लेट आते है,  एक तो वो लड़का लेट है... जो ये ब्लॉग लिख रहा है जिसे ब्लॉग लिखने कि बीमारी लग गयी है .... लिखते समय भी हॅस रहा है.नाम पढ़ लेना जैसे लेट आता है उसकी तरह नाम भी लेट ही लिखता है अपना लास्ट में ..  एक और लेट आता वो है ऑडियंस डिपार्टमेंट का युवराज..... ये दोनों लड़के लेट आते है... अब ये दोनों लड़के ऑटो से आते थे... आब कुछ दिन से अलग आते है क्यों कि बेचारा एक कॉलेज जाता है, खैर मैं ऑटो के बारे में लिख रहा था तोह ये दोनों लड़के ऑटो में एक दूसरे को सॉरी बोलते है कि मैं तेरी वजह से लेट हुआ तो और अगेरा वगेरा जो लिख नहीं सकता न... फिर ऑफिस पहुचते है... सोचते है है आज क्या बोला जाए बॉस को.... कुछ पता नहीं... फिर डिपार्टमेंट में घुसते है ऐसा मनो कि इन् दोनों से तो शरीफ़ कोई है ही नहीं.... फिर बॉस को सॉरी बोलते है अगली बार लेट न आने का वादा करते है... बॉस तो सुना देती है... थोडा सुन लो क्या हुआ लेट जो आए फिर दोनों बैठ जाते है... अब शुरू होता है हाय ! हेल्लो का समय हाय साद, हाय  अमृता, तस्नीम, अदिति, वत्सला, और कुछ नए आए है उनको भी उनका नाम भी बताऊंगा... फिर पीओए ( POA ) देखते है...फिर मैं साद से पूछता हूँ क्या है... फिर साद बोलता है देख भाई जो लिखा है तेरे सामने है.. अच्छा जी चलो कोई नहीं... पीओए तो करेंगे पहले फेसबुक कर लेते है... सबसे कोने में बैठता हूँ बॉस देख नहीं पाती... कभी बॉस देख के भी अनदेखा कर देती है.... फिर फेसबुक बंद कर के अपनी बॉस के पास जाता हूँ l  हाय!!!!!! गीतीका मैम... उनका रिप्लाई भी आता है हाय!!!!! फिर उनसे बात करता हूँ, कुछ बोलती है तो मैं कभी बोल देता हूँ क्या गीतीका मैम आप न !!!!!! हा हा हा .... गीतीका मैम बोलती है तू चला जायेगा तो तेरे ये वर्ड्स ( WORDS ) याद करुँगी... !!!!! अब  मैं किस्से बात करूँगा मैं खुद नहीं जनता  क्योंकि जब तक सब से बात न कर लूँ तब तक चैन से बैठ नहीं सकता... सबको पकाता हूँ थोडा या जादा.... फिर काम करता हूँ... फिर कुछ नए चेहरों के साथ घुलना चाहता हूँ फिर उनसे बात करता हूँ.. अपनी खुद कि ही तारीफ़ करने में लग जाता हूँ... मैंने इस शो के लिए ये किया वो किया... लम्बी लम्बी फेंक देता हूँ, फेंकने में क्या जाता है... वो लोग भी बोलते है वाह !!!! आप तो कमाल के हो.... यही तारीफ़ तो सुनना चाहता हूँ... और इन् नए चेहरों का नाम है सलमान , और नुपुर.. अरे फ़िल्म वाला सलमान नहीं ... और आरुषि वाली नुपुर नहीं.... दोनों अच्छे है...अच्छा तो हर कोई होता है... वो तो अपने ऊपर है न.... अब  लंच के समय ... हर कोई एक दूसरे को देखता है... मेरे साथ साद बैठता है, जिसका मतलब है सादग़ी... मेरे ऑफिस में सबसे करीबी दोस्त....या भाई भी कह लूँ... पर उसकी क्या तारीफ़ करूँ वो तो ब्लॉग पढता ही नहीं.... खैर साद को बोलता हूँ चलो भाई लंच के लिए फिर साद मुंडी ( गर्दन ) हिला के बोलता है हूँ.... फिर अमृता को, इनके नाम का मतलब है वो धार्मिक या अमृत जल जिसको पिने से हर कोई अमर हो जाता है.... या यूँ कहूं तो जो कभी खत्म नहीं होता,  ये बंगाल से आयी है...बहुत दिन से बोलता हूँ ब्लॉग पढ़ो मेरा बोलती हैं पढूंगी, चलो जिस दिन पंडित जी समय बताएँगे तब ये पढ़ लेंगी... तस्नीम कुछ महीने पहले ही आयी है ये मोहतरमा.तस्नीम जिसका मतलब है स्वर्ग कि नदी .. इनका नाम मेरे ब्लॉग में बहते होंगे इन्होने, हिमत दिया ब्लॉग लिखने के लिए.... ब्लॉग पढ़ने का शौक है इनको...  अदिति पंजाबी कुड़ी...जिसकी कि कोई सीमा न  हो.... जिसको अपनी डाइट कि  बड़ी  फिकर रहती  है... लाइट खाना पसंद करती है ताकी बॉडी फैले न... पर सिगरेट कि दीवानी है ... क्योंकि उसका साथ देने वाले डिपार्टमेंट के दीवाने भी है.... युवराज डिपार्टमेंट का एजेंडा बॉय.... जिसके सवाल ख़तम नहीं होते... जिसकी हर बात एजेंडा बन जाती है चाहे वो प्रोडूसर के साथ हो या या अपने बॉस के साथ... पूजा.... इनका नाम ऐसा है कि हर सुबह याद आता है क्यों कि हर सुबह भगवान कि पूजा जो करनी होती है.... जी लगा के ये हमे बोलतीं हैं, इनके कुछ एक बार गलत भी बोल दिया था... मुह फुला लिया मैंने अपना .... फिर गलती थी मेरी माफ़ी मांगी इनसे... माफ़ भी किया पूजा जी ने .... वत्सला नयी लड़की जिसके बाल अपने आप में इतने उलझे है जैसे मैथ के सवाल जो सॉल्भ ( SOLVE ) ही नहीं होते...जो भी हो प्यारी है वत्सला..... गीतीका मैम....हमारी बॉस बहुत डरता था इनसे बहुत... पर
जब से ये हम लोगों के साथ ओखला ऑफिस बैठने लगी है... तब से बहुत अच्छी  लगने लगी है... बॉस कम दोस्त जादा लगती है... हर बात अपनी बताती है... हमारी बात भी सुनती है... चुटी काट देती है है कभी कभी... फिर क्या वही बात क्या गीतीका मैम आप भी न..... हा हा हा....बहुत भरोसा करती हमपे ... गीतीका मैम ये ब्लॉग है नहीं तो और लिखता आप के बारे में... अब  टीएल बड़ी प्यारी सी है पतली सी है.... नाम है ऐश्र्या, जो रोज़ हमे हमारा काम देती है... इन से कुछ न कुछ झड़प हो ही जाती है काम को लेकर.... कुछ और दोस्त है जिनके बारे में लिखना चाहता हूँ पर लिख नहीं पा रहा.. क्योंकि कि वो दोस्त अब याद बन के रहते है.... और मैं अपनी यादों को बस याद रखना चाहता हूँ..... अपनी सोच नहीं बनाना चाहता....
खैर जब हम लोग विक्रम ढाबे पे एक साथ होते है तो किसी और को जगह नहीं होती कि वो बैठ सके छोटा है अपना डिपार्टमेंट पर इतना छोटा भी नहीं कि विक्रम ढाबे कि 7 - 8 कुर्सियां भी न भर सके... विक्रम ढाबे पे हम लोग कैसे मस्ती करते है फिर कभी लिखूंगा....
कब लिखूंगा पता नहीं... पर जब भी लिखूंगा हो सकता है कि  जिसका नाम या पे लिखा है वो याद बन जाए, और जिसका नाम नहीं है शायद वो शब्द बन जाए..... और या हो सकता है कि फिर सब कोई मेरी याद बन जाए... क्योंकि मैं अपनी यादों को बस याद रखना चाहता हूँ शब्द बनाना नहीं चाहता..... कुछ भी हो सकता...  
ये ब्लॉग लिखने वाले लड़के का नाम है कृष्णा..... मैं कैसा हूँ, क्या हूँ..??? खुद नहीं बोलूंगा आप लोगों के बारे में बता दिया अब आप लोगों कि बारी....
आपका
कृष्णा नन्द राय