Thursday 28 November 2013

कुछ कर दिखाने की चाह..!!!!

एक चाह है कुछ लिखने की,कुछ करने की, कुछ बनने कि,
कोशिश है कुछ कर दिखाने की l
शब्द से बढ़कर साहित्य हो जाने की,
आसमाँ को छूने की और सागर को समेटने की l
संघर्षशील हूँ इसलिए आलस्य से भागना चाहता हूँ,
भोली, तरसती आँखों के सपनों को
एक हकीकत देना चाहता हूँ l
आँखों के थकने से पहले कुछ बन के दिखाना  चाहता हूँ .....
कुछ कर दिखाने की चाह..!!!!

कृष्णा नन्द राय