Friday 6 December 2013

निजी जीवन कि कोमल सी डोर कहीं टूट न जाए...




एक दिन मैं अपने एक दोस्त के साथ कॉफी हाउस में गया था... वहाँ जो कुछ भी देखा वह लिख रहा हूँ.. एक लड़का - लड़की कॉफी हाउस में अंदर आते है... दोनों एक कोने में बैठ गए ऑडर किया और फिर दोनों बात करने लग गए... उनके मोबाइल फ़ोन टेबल पर रखे हैं, अब उनकी नज़र सिर्फ फ़ोन पे होती हैं..l जाहिर हैं, दोनों साथ में कुछ वक़्त बिताने आये हैं l लड़की सीरियस होकर कुछ उससे बोलती है, कुछ पूछती है l इस बीच लड़के के फ़ोन की स्क्रीन पर लाइट जलती है, और वह लड़की की  बात अनसुनी कर के मोबाइल पे कुछ टाइप करने लगता है, फिर टेबल पे रख देता है l लड़की फिर बात आगे बढाती है, लड़के की नज़र सिर्फ फ़ोन पे होती है... लड़की बोलती है रवि मैं कुछ बोल रही हूँ कुछ बोलते क्यों नहीं हो... फिर लड़के के नज़र ऊपर उठती है और बोलता है, yes अब बोलो.. लड़की बोलती है की हम यहाँ कुछ ज़रूरी बात करने आए है तुम हो की मेरी बात नहीं सुनते l  लड़का उत्तर देता है सुन रहा हूँ बोलो, लड़की फिर बोलती है लड़के की नज़र कभी फ़ोन पे कभी लड़की की तरफ.. इतने में लड़के के फ़ोन की लाइट फिर जलती है, कुछ टाइप करता है.... फिर फ़ोन को टेबल पे रख देता है, लड़की का गुस्सा छुपाये छुप नहीं रहा है ... शायद उसके मन में ये सवाल जरुर चल रहा होगा की लड़के को किसी और से ही बात करनी है तो उसके साथ क्यों आया... l  लड़की ने सोचा होगा चलो कॉफी हाउस में कोई डिस्टर्ब नहीं करेगा बात ठीक से होगी... पर यहाँ भी फ़ोन था डिस्टर्ब करने वाला.. आगे बताता हूँ क्या हुआ, बैकग्राउंड में 'लव इन टोक्यो ' फ़िल्म का गाना बज रहा है - "तुम मेरे साथ होते हो, कोई दूसरा नहीं होता" l
जब कोई अपना हमसे वास्तविक रूप से दूर होता है तब हमारा दुखी होना जायज़ है, पर अगर इंसान शारीरिक रूप से हमारे साथ होकर मानसिक रूप से किसी अन्य के साथ हो तो शायद साथ होने की सुखद भावना के साथ इससे बड़ा धोखा कुछ और नहीं हो सकता l ऐसे धोखे या दिखावे पहले भी होते रहे है लेकिन आज मोबाइल और इंटरनेट ने बेवफाई और अकेलेपन के जिस घिनौने चेहरे को उजागर कर दिया है, वह समाज के लिए सचमुच एक नया अनुभव है l पति - पत्नी क दूसरे के साथ बैठकर किसी और से "चैट" करते है, बच्चे माता - पिता के सामने फ़ोन पर अपने दोस्तों के साथ चैट, विडिओ, फ़ोटो "शेयर" करते है l पापा - मम्मी से कम बात करनी है पर फ़ोन पे अधिक चैट करनी है l सूचना तकनीक के क्षेत्र में आई क्रांति ने हमारे हाथ में वो ताकत दे दी है, जिससे हम दुनिया के दूसरे कोने में बैठे इंसान से साथ पल भर में जुड़ जाते है, बात करने लगते है, जो नहीं जुड़ता उसको भी फेसबुक महाराज जी जोड़ ही देते है कहीं न कहीं से..
परंतु इसी के साथ यह एक कड़वा सच है कि तकनिकी  क्रांति ने हमे इतना असहाय बना दिया है कि हम खुद से दो फिट दूर बैठे इंसान के साथ प्रेम और शांति के दो पल भी नहीं बिता सकते l ..
वक़्त आ गया है तकनीक के सीमित इस्तेमाल को एक मूल्य के रूप में विकसित करे l उसे सिविक सेंस का हिस्सा बनाना होगा l एक बार हम सबको फिर सोचना होगा कि क्या हम किसी तकनीक को अपने निजी जीवन में दखल करने देंगे.? क्या ये मोबाइल फ़ोन, इंटरनेट हमारी निजी जीवन से भी जादा जरुरी है..?
सोचिए और अपना सही फैसला चुनिए, इससे पहले कि कही देर न हो जाए, और निजी जीवन कि कोमल सी डोर कहीं टूट न जाए.... फैसला आप के हाथ में है...
आपका
कृष्णा नन्द राय