Sunday 9 February 2014

समझ नहीं पाता...!!!!!!

खिले फूलों को डाली से तोडा नहीं जाता
टुटा हुआ आइना फिर जोड़ा नहीं जाता,
बस्तियां चली जातीं हैं खुद ही उठकर
नदी कि धार को कभी मोड़ा नहीं जाता,
साथ रहते हैं कुछ लोग दूर रहके ताउम्र
दिल के रिश्तों को कभी तोडा नहीं जाता
यह दिल तोड़े जाते है बेदर्दी से यहाँ दोस्तों
पत्थरों को भी नफरत से तोडा नहीं जाता,
काँटा भी काँटा निकालने के काम आ जाता है
बुझे हुए चिरागों को भी कभी तोडा नहीं जाता,
छूट जाते हैं साथ गर्दिशों के तूफ़ान में अक्सर
जानबूझ के हाथो से हाथ कभी छोड़ा नहीं जाता,
जिनको आदत ही पद गयी हो अँधेरे में जीने कि
फिर उजालों से उनका रिश्ता जोड़ा नहीं जाता ...
कृष्णा तो हर मुद्दे पे लिखता रहता है
पता नहीं क्यों हर कोई उसे ठीक से समझ नहीं पाता...!!!!!!

कृष्णा नन्द राय