Thursday 23 January 2014

गाँव....... मेरा हो गया बीमार

गाँव.......
मेरा हो गया बीमार
बाबू क्या करें
अब नहीं पीपल में
ठंडी ब्यार बाबू क्या करें
हल बिके तो बैल
भी कलवा कसाई ले गया
गाय बूढ़ी कट
गयी लाचार बाबू
क्या करें
शाम से
देशी का ठेका रोज
ही आबाद है
और मंदिर हो गये बेकार
बाबू क्या करें
कल तक  चौपाल पर
था पंच परमेश्वर खुदा
आज बस यार  की जयकार
बाबू क्या करें
दूध डेरी पर
गया सब्जी गयी शहरों को सब
गुङ मठा दुर्लभ हुआ अच्चार
बाबू क्या करें
रोज गन्नों
झाङियों नदियों में लाशें
मिल रही
लङकियाँ दहशत में है
बाबू क्या करें
कौन लिखता है रपट खर्चे
बिना चौकी में  अब
फैसला रिश्वत
का थानेदार बाबू
क्या करें
गाँव के तालाब पर परधान
का गोदाम है
मच्छरों कुत्तों की है
भरमार बाबू क्या करें
पाठशाला में जुआ दिन
रात चलता है यहाँ
दोपहर का भोज खाते
स्यार बाबू क्या करें
कब से आँगनबाङियों का
माल मंडी जा रहा
बनते बीपीएल जमीनदार
बाबू क्या करें
सस्ते राशन की दुकानें एक
दिन ही खोलते
फिर करते काला माल
बाज़ार बाबू क्या करें
फौजदारी के मुकदमें भाई
बेटों से चले
गाँव का गुंडा ही ठेकेदार
बाबू क्या करें
अब जनानी जात पर
भी छेङखानी ज़ुल्म भी
रामलीला में
पतुरियाँ चार बाबू
क्या करें
कल तक  जो गाँव लगता
चित्र
में इक मित्र सा
आज जैसे देश का ग़द्दार
बाबू क्या करें
चोर भी हैं ठग लुटेरे तंत्र मंत्रों के क़हर
भूत प्रेतों के सिपहसालार बाबू क्या करें
इमरती का मर्द कलकत्ते से
लाया एड्स है
शामली की कोख में
बेटी मार बाबू क्या करें
गाँव में आकर  "देखो तो कितना है
सितम
औरतों पर रोज अत्याचार
बाबू क्या करे....
विकाश कि बात सुन कर दिल खुश होता है
नेतावों के बेतुके भाषण सुन के दिल दुखी
होता है, बाबू क्या करे
कोई झाड़ू चलाने कि बात करता है
कोई कमल खिलाने कि बात करता है
कोई हाथ का साथ देने कि बात करता है
समझ ही नहीं आता कौन सच्चा है कौन झूठा
 बाबू क्या करे...
आपका
कृष्णा नन्द राय