Thursday 24 April 2014

मैंनें शहर बदल दिया...

..मैंनें शहर बदल दिया पेट में आग अभी  बाकी हैं..
..जिस शहर मैं गया सुना धांधली  अभी   बाकी हैं..
..लोग शहर के सारें ज़ुल्म के सताएं हुएं हैं..
..रातों में अपराध इस शहर  में अभी   बाकी हैं..
..मैं नहीं कहता मैं हूँ दूध का धुला..
..लेकिन दिल में इंसानियत और होंठों पे नाम..
..हे राम तुम्हारा  अभी   बाकी हैं..
..सितम शहर के सारें मेरे हिस्सें वालें  अभी   बाकी हैं..
..इंतज़ार नहीं अब हर शाम की..
..नौकरी की तलाश इस शहर  अभी   बाकी हैं..
..क्या हैं बात सरकारी तो दूर..
..स्वयंचालित संस्था भी हाथ से  अभी   बाकी हैं..
..किस्मत हैं या ये राज़नीति का छलावा..
..जो युवा देश रोज़गार से  अभी   बाकी हैं..
..सारें शहर में ये किस्सें ज़ारी हैं..
..बेमतलब में लिख रहा कृष्णा नन्द राय  अभी   बाकी हैं..
..मैंनें शहर बदल दिया पेट में आग  अभी   बाकी हैं..
..जिस शहर मैं गया सुना धांधली अभी  बाकी हैं..!

आपका
कृष्णा नन्द राय