Sunday 25 May 2014

बचपन वाला वो 'रविवार' अब नहीं आता,

बचपन वाला वो 'रविवार' अब नहीं आता,
दोस्त पर अब वो प्यार नहीं आता।
जब वो कहता था तो निकल पड़ते थे बिना घडी देखे,
अब घडी में वो समय वो वार नहीं आता।
बचपन वाला वो 'रविवार' अब नहीं आता...।।।
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वो साईकिल अब भी मुझे बहुत याद आती है,
जिसपे मैं उसके पीछे बैठ कर खुश हो जाया करता था।
अब कार में भी वो आराम नहीं आता..!!
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जीवन की राहों में कुछ ऐसी उलझी है गुथियाँ,
उसके घर के सामने से गुजर कर भी मिलना नहीं हो पाता...!!
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वो 'मोगली' वो 'अंकल Scrooz', 'ये जो है जिंदगी'
'सुरभि' 'रंगोली' और 'चित्रहार' अब नहीं आता...!!
रामायण, महाभारत, चाणक्य का वो चाव अब नहीं आता,
बचपन वाला वो 'रविवार' अब नहीं आता...!!
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अब हर वार 'सोमवार' है
काम, ऑफिस, बॉस....
बस ये जिंदगी है।
दोस्त से दिल की बात का इज़हार नहीं हो पाता।
बचपन वाला वो 'रविवार' अब नहीं आता...!!

आपका
कृष्णा नन्द राय