Sunday 25 May 2014

क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है....

बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर...
क्योंकि मुझे अपनी औकात
अच्छी लगती है..
मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा,चुपचाप से बहना और
अपनी मौज में रहना ।।
चाहता तो हूँ  की ये दुनिया
बदल दू पर दो वक़्त की रोटी के
जुगाड़ में फुर्सत नहीं मिलती
दोस्तों महँगी से महँगी घड़ी पहन कर देख लो , वक़्त फिर भी हमारे
हिसाब से
कभी ना चला ...!
युं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे ..
पता नही था की, 'किमत चेहरों की होती है!!'
अगर खुदा नहीं है  तो उसका ज़िक्र क्यों ??
और अगर खुदा है  तो फिर फिक्र क्यों ???
"दो बातें इंसान को अपनों से दूर कर देती हैं,एक उसका 'अहम' और
दूसरा उसका 'वहम'......
" पैसे से सुख कभी खरीदा नहीं जाता
और दुःख का कोई खरीदार नहीं होता।"
मुझे जिंदगी का इतना तजुर्बा तो नहीं,
पर सुना है सादगी मे लोग जीने नहीं देते।

आपका 
कृष्णा ननद राय