Monday 22 September 2014

ऊपर वाले का प्यारा सा संदेश


प्रिय मनुष्य,

मैं ऊपरवाला बोल रहा हूँ, तुम्हारे फ्लोर के
ऊपरवाला नहीं, जिसने ये पूरी दुनिया बनाई
वो ऊपरवाला. तंग आ चूका हूँ मैं तुम
लोगों से, घर का ध्यान तुम न रखो और
चोरी हो जाए तो, "ऊपरवाले  तूने क्या किया".
गाड़ी तुम तेज़ चलाओ और धक्का लग जाए तो,
"ऊपरवाले........". पढाई तुम न करो और फेल
हो जाओ तो, "ऊपरवाले.........".
ऐसा लगता है इस दुनिया में होने वाले हर गलत
काम का जिम्मेदार मैं हूँ.
आजकल तुम लोगो ने एक नया फैशन बना लिया है,
जो काम तुम लोग नहीं कर सकते, उसे करने में
मुझे भी असमर्थ बता देते हो!
ऊपरवाला भी भ्रष्टाचार नहीं मिटा सकता,
ऊपरवाला भी महंगाई नहीं रोक सकता, .......ये सब
क्या है?
भ्रष्टाचार किसने बनाया? मैंने?
किससे रिश्वत लेते देखा है तुमने मुझे?
मैं तो हवा, पानी , धुप, आदि सबके लिए बराबर
देता हूँ, कभी देखा है कि ठण्ड के दिनों में
अम्बानी के घर के ऊपर मैं तेज़ धुप दे
रहा हूँ, या गर्मी में सिर्फ उसके घर बारिश
हो रही है. उल्टा तुम मेरे पास आते हो रिश्वत
की पेशकश लेकर, कभी लड्डू, कभी पेड़े,
कभी चादर. और हा, आइन्दा से मुझे लड्डू
की पेशकश की तो तुम्हारी खैर नहीं, मेरे नाम
पे पूरा डब्बा खरीदते हो, एक टुकड़ा मुझपर
फेंक कर बाकि खुद ही खा जाते हो.
ये  महंगाई किसने बनाई? मैंने?
मैंने सिर्फ ज़मीन बनाई, उसे "प्लाट" बनाकर
बेचा किसने?
मैंने पानी बनाया, उसे बोतलों में भरकर
बेचा किसने? मैंने जानवर बनाए, उन्हें
मवेशी कहकर बेचा किसने?
मैंने पेड़ बनाए, उन्हें लकड़ी कहकर
बेचा किसने?
मैंने आज तक तुम्हे कोई वस्तु बेचीं?
किसी वस्तु का पैसा लिया?
मैंने न भ्रष्टाचार बनाया, न महंगाई और ,
हाँ तुम को जरूर मैंने बनाया है, इसलिए
भ्रष्टाचार, महंगाई तुम्हारी बुराइयां हैं, तुम
समझो.
हाँ मेरे सब्र का इम्तहान मत लो, वरना जिस दिन
मेरे सब्र का बांध टूटा, ये दुनिया ही खत्म कर
दूंगा, तुम्हारे साथ
तुम्हारी बुराइयां भी खत्म हो जाएँगी.
मुझे पता है, मेरी बातों पर ध्यान देने के
बजाए, तुम अभी तक ये सोच रहे हो कि मैं
"ईश्वर" बोल रहा हूँ या "अल्लाह". सही कहा न?
सोचते रहो. मैं जानता हूँ मैं जिस दिन ये
दुनिया खत्म करूँगा, उस दिन भी तुम लोग
यही कहोगे, "ऊपरवाला, तूने क्या किया"

तुम्हारा ,
 भाग्य विधाता 
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 इस ब्लॉग का  मकसद सिर्फ ये हैं कि हर
बात  के लिए भगवान को दोषी ना ठहराएं,
बुराईया सब में होती है, अपने अंदर
की बुराईयों को दूर करने का प्रयास कीजिए ।
अच्छी संगत में रहिए  और अच्छा बनिए...