Friday 24 October 2014

अनजान लाश ने कुछ बोला..

था मै नींद मे और मुझे
इतना सजाया जा रहा था
बडे प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था
ना जाने था वो कौन सा अजब खेल मेरे घर मे
बच्चो की तरह मुझे कंधो पर
उठाया जा रहा था
था पास मेरा हर अपना उस वक्त
फिर भी मै हर किसी के दिल से
भुलाया जा रहा था
जो कभी देखते भी थे मोहब्बत
की निगाहो से
उनके दिल से भी प्यार मुझ पर
लुटाया जा रहा था
मालूम नही क्यो हैरान था हर कोई मुझे
सोते हुए देख कर
जोर-जोर से रोकर मुझे जगाया जा रहा था
काँप उठी मेरी रूह वो मंजर देख कर
जहाँ मुझे हमेशा के लिए
सुलाया जा रहा था
मोहब्बत की इन्तहा थी दिलो मे मेरे लिए
उन्ही दिलो के हाथो मे  आज मैं
जलाया जा रहा था ।।

एक अनजान लाश..