Thursday 16 October 2014

पाकिस्तान की असलियत ....

पाकिस्तान भले ही सीमा पर फायरिंग कर भारत को उकसाने की कार्रवाई कर रहा हो लेकिन भारत को उकसावे में आने के बजाए जवाब देते रहना चाहिए। क्योंकि पाकिस्तान तेजी से दिवालिया होने की कगार की ओर बढ़ रहा है। यदि ऎसा ही जारी रहा तो जल्द ही पाकिस्तान अपनी आर्थिक प्रभुत्ता खो देगा और वह अंतरराष्ट्रीय दान के भरोसे होगा। कर्ज के कारण बढ़ी वित्तीय समस्याओं के कारण पाकिस्तानी संस्थाएं पंगु हो गई है और इसके चलते पाकिस्तानी सेना भी नाकारा होती जा रही है। जानिए क्या हैं वे कारण जो  पाकिस्तान को कर रहे हैं खोखला: विदेशी कर्ज पाकिस्तान का विदेशी कर्ज पिछले सात सालों से लगतार बढ़ रहा है। दिसम्बर 2007 से 2012 के बीच पाकिस्तान का कर्ज 20 बिलियन डॉलर से बढ़कर 59.6 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है। ये कुल कर्ज की लगभग 50 फीसदी की बढ़ोतरी है और ये निरंतर बढ़ रही है। 2013 में नवाज शरीफ सरकार के आने के बाद सेस्थिति और भी बदतर हुई है। पिछले 12 महीने में पाक सरकार ने 10 बिलियन डॉलर का अतिरिक्त कर्ज ले रखा है जबकि उसके पास इसेचुकाने का कोई जरिया नहीं है। कर्ज चुकाने की औकात नहीं एक और जहां पाकिस्तान का कर्ज सुरसा की मुंह की तरह बढ़ रहा है वहीं उसकी इतनी हैसियत नहीं है कि वह इसका भुगतान कर सके। 2006 से 2012 के बीच विदेशी कर्ज के प्रतिशत के रूप में पाकिस्तान का रिजर्व 12.5 प्रतिशत घटा है। जिस तरह से कर्ज बढ़ रहा है उससे लगता नहीं कि पाकिस्तान कभी इस दलदल से निकल पाएगा। निर्यात में गिरावट पाकिस्तान की निर्यात दर में भी निरंतर गिरावट देखने को मिल रही है। विदेशी मुद्रा पाने के लिए निर्यात किसी भी देश के लिए आवश्यक होते हैं ताकि कर्ज चुकाया जा सके। 2007 से 2012 के बीच सालाना औसत निर्यात विकास दर 0.6 प्रतिशत है। जो परवेज मुशर्रफ के शासन के समय 10.2 प्रतिशत थी। लगातार आतंकी हमलों और अस्थिर राजनीतिक स्थिति के कारण पाकिस्तान में व्यापार करना खतरे से खाली नहीं है। पाकिस्तानी रूपये का अवमूल्यन पाकिस्तानी रूपये के अवमूल्यन का सिलसिला भी जारी है। 2007 से 2013 के बीच पाकिस्तानी रूपये में 67 प्रतिशत की कमी आई है। पाकिस्तानी रूपये का मूल्य आर्थिक कुप्रबंधन, विकास दर में कमी और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की कमी के कारण लगातार पाताल में जा रहा है। इसका मतलब है कि पाकिस्तानी की कर्ज चुकाने की हैसियत में और कमी।

(ये सभी तथ्य अलग - अलग अखबारों से  रिसर्च कर के लिखा हुआ है थोड़ी से गलती भी  हो सकती है गलती के लिए मुझे खेद है )

आपका,
कृष्णा नन्द राय