Thursday 16 October 2014

मेरा वक्त भी बदलेगा, और तेरी राय भी.…

तू छोड़ दे कोशिशें
इन्सानों को पहचानने की...!
यहाँ जरुरतों के हिसाब से
सब नकाब बदलते हैं...!
मेरे बारे मे कोइ राय मत बनाना गालिब,
मेरा वक्त भी बदलेगा, और तेरी राय
भी.… 

आपका,
अनजान शायर