Wednesday 5 November 2014

बटन फिर दबाना आप लोग..

दिल्ली में फिर बटन दबाना होगा हम सब को, आखिर  लम्बी खीचतान के बाद अब जा  के सब साफ़ हुआ है की दिल्ली भी चुनाव चाहती है... ये पहले भी हो सकता था पर ये तो राजनीति है न कोई भी काम सीधे तरीके से नहीं होता l राजनीति में जब  साम-दाम-दंड-भेद कोई भी जुगाड़ नहीं लगा तो एक ही रास्ता निकला चुनाव का खैर जो है ठीक ही है... अब यह भी बता ही  देता हूँ की  किसने क्या किया है अभी तक, केजरीवाल जी को मिली लोक सभा निराशा के बाद पूरी तरह दिल्ली को अपना टारगेट गोल समझ के हर रोज़ मैच जितने की कोशिश कर रही है है जो की अच्छा है उनके लिए, लेकिन जो उन्होंने 49 दिन में किया है वो भी लोगो के सामने है, चाहे बिजिली के बिल के काम होने की बात हो या पानी की सुविधा का... पर उससे बड़ा उनका धरना जो की उनका पीछा ही नहीं छोड़ता या यु कहु तो वो खुद धरना नहीं छोड़ना चाहते, जो भी ये उनकी आदत सी बन गयी है, और आखिर में इस्तीफा दिया, पता नहीं क्या सोच के और फिर अपनी गलती भी मानी.. अब पता चलेगा की लोगो ने माफ़ किया है की नहीं l दूसरी तरफ कांग्रेस भी अपनी किस्मत फिर से देखना चाहती है इस उमीद में की शायद 8 से 10 सीटें होजाए, खैर जो भी यह 8 सीटें भी किसी का भला कर ही सकती है, और किया भी "आप' का भला आप का नहीं आम आदमी पार्टी का भला.. इस बार देखते है ये किसका भला करेंगे खुद का या किसी का भी नहीं  l आज कल चुनावो में एक ही आंधी चली है मोदी आंधी जिसकी गति हुद-हुद से भी ज्यादा लगती है, हाल ही में हरियाणा और महाराष्ट्र में अपना झंडा बुलंद करने के बाद बीजेपी के हौसले और भी मजबूत हो चुके है .. उन्हें ऐसा लगता है की अब तो ऐसी हवा चलेगी की सब धराशाही होजाएंगे खैर ये भी पता चला जाएगा, लेकिन बीजेपी आरोप लगाती है की परिवारवाद नहीं चलेगा, लेकिन बीजेपी भी तो चेहरावाद कर रही सिर्फ एक आदमी की लेकर... देखते है इस चुनाव में की क्या पंजा झाड़ू को लेकर कमल साफ़ करता है या नहीं ? पर जो भी बटन फिर दबाना आप लोग

आपका,
कृष्णा नन्द राय