Thursday 20 November 2014

"कमल के कमाल पर पत्र "

प्रिय कमल,
तुम्हारे बारे में बहुत सुना है स्कूल में  व्याकरण की  किताबो में पढ़ा है, तुम्हरे अलग - अलग नाम  नलिन, अरविन्द, उत्पल, राजीव, पद्म, पंकज, नीरज, सरोज, और भी आदि लेकिन कुछ नाम तो रोज़ सुनता हूँ जैसे  "अरविन्द" " राजीव " "नलिन " और ये पंकज नाम तो मेरे साथ ही काम करता था l अरविन्द तो तुम्हे काटने के चकर में ही  रहते है, राजीव तो तुम्हारे दम पे ही मंत्री बन गए, और नलिन जी तो प्रवक्ता l  देखा कमल भाई तुम्हारे नाम भी न गजब काम करते है,  माँ लक्ष्मी भी तुम्हे पे ही सवार है , हर जगह तुम दिख जाते हो कमल l  आज कल तो तुम पुरे भारत में खिलना चाहते हो, बीजेपी ने अपना तो कॉपीराइट तुम पे जमा रखा है, तुम्हे अपने सीने पे लगा कर कुछ लोग तुम्हारे नाम पे अपने लिए वोट मांगते है l  तुम्हे अजीब नहीं लगता और लगेगा भी तुम क्या कर सकते हो तुम्हे तो कीचड़ में खिलने की आदत है तुम्हारी यही खासियत देख के तो कुछ लोग ये बोलते है की अब देश में बहुत कीचड़ फ़ैल चूका है अब कमल खिलने दो, मेरी इस बात को ध्यान से सोचना तुम मेरे कमल !!!! कमल तुम जितने सुनदर हो, शालीन हो तो उन लोगो को भी बताओ न जो तुम्हे सीने पे लगा के घूमते है की वो भी शालीन सभय बने तुम्हारी तरह l
कमल तुम  बड़े कमाल के हो यार तुम्हारी वजह से सब डरे हुए है, खौफ है तुम्हारा देख लो, हाथी, साइकिल, झाड़ू, सब डरे है तुमसे और तो और तुम्हे तोड़ने की छमता रखने वाला पंजा भी तुम से बहुत दर चूका है, मत डराओ न इतना ऐसा ये लोग बार - बार बोलते है l
अच्छा 'कमल" अब मैं खत बन करता हूँ इतना लम्बा खत किसी को नहीं लिखा है सिर्फ तुम्हे क्योंकि हर कोई उगते हुए सूरज को ही प्रणाम करता है न , आज कल तुम भी  बहुत उग रहे हो हर जगह l

तुम्हारा शुभचिंतक,
कृष्णा नन्द राय

नोट :- (इस पत्र में मैंने कमल को क्या क्या लिखा है मैं भी नहीं जनता हूँ, बस जो मन में आया बस लिख दिया)