Thursday 12 March 2015

ऊपर बैठा वो बाजीगर..जाने क्या मन में ठाने है..

इस जीवन की चादर में,
सांसों के ताने बाने हैं,
दुख की थोड़ी सी सलवट है,
सुख के कुछ फूल सुहाने हैं,
क्यों सोचे आगे क्या होगा,
अब कल के कौन ठिकाने हैं,
ऊपर बैठा वो बाजीगर,
जाने क्या मन में ठाने है,
चाहे जितना भी जतन करें,
भरने का दामन तारों से,
झोली में वो ही आएँगे,
जो तेरे नाम के दाने है,
मत डर इस जीवन में,
बहुत सारे ठिकाने है,
प्रोडक्शन नहीं तो रिपोर्टिंग है,
जीवन में ऐसी बहुत मंजिले है,
चलते रहना है हर डगर पे,
हर रोज़ नए-नए  बहाने है
पीछे मुड़ के मत देखना
क्योकि मन के हारे - हार है
मन के जीते जीत,
झोली में वो ही आएँगे,
जो तेरे नाम के दाने है,
ऊपर बैठा वो बाजीगर,
जाने क्या मन में ठाने है...
ये सब तो ब्लॉग लिखने के बहाने है...

आपका
कृष्णा नन्द राय