Thursday 12 March 2015

महिला दिवस पे एक नया चेहरा बनी!!!!

कभी बेटी, कभी पत्नी,
कभी माँ बनी....
न जाने एक बिटिया,
क्या क्या बनी....
कभी भाभी, कभी चाची,
कभी बहन बनी....
एक बिटिया कई परिवारोँ का,
गहना बनी....
कभी ननंद, कभी जेठानी,
कभी देवरानी बनी....
अपने घर मेँ ही वो,
भूली हुयी कहानी बनी....
कभी सास, कभी दादी,
कभी नानी बनी....
उम्र के हर पड़ाव मेँ,
बस एक कुर्बानी बनी....
कभी शारदा, कभी लक्ष्मी,
कभी काली बनी....
हर रुप मेँ इस जगत की,
पालनहारी बनी....
कभी दुर्गा, कभी अवन्ति,
कभी लक्ष्मीबाई बनी....
हर युग मेँ वो,
नये इतिहास की रोशनाई बनी
कभी सोनिआ, कभी प्रतिभा तो कभी किरण बनी
भारत में महिला दिवस पे एक नया  चेहरा बनी

आपका,
कृष्णा नन्द राय