Wednesday 13 November 2013

वृद्ध माता - पिता का कसूर क्या है ..?




अख़बार पढ़ने कि जब से आदत लगी तब से कुछ लिखने कि भी आदत लग गयी है, पढ़ के कुछ लिख नहीं पाता तो लगता है कुछ छूट - सा - गया.. उसी तरह आज कुछ पढ़ा एक वृद्ध माँ कि परेशानी को जो कि दर - दर ठोकर खा रही है, और इस आशा में ज़िन्दगी ज़ी रही है कि कोर्ट उसके बच्चों को आदेश दे कि उसके  बच्चे इस वृद्ध माँ को सहारा दे और अपने साथ रखे ... और यही पढ़ के दुखी हुआ l   इस दुनिया के  बदलते रहन - सहन यदि शुद्ध सीधी बात में  कहुँ तो तौर - तरीके बदलते देख खुशी भी होती है, कि लोग  नए तरीके से ज़िन्दगी  जीते है.. कोई हर्ज़ नहीं है नयी ढंग से ज़िन्दगी जीने में, पर दुःख होता है जब इस नए तरीके कि ज़िन्दगी में लोग माँ - बाप को भूल जाते है.. अलग कर देते है... आखिर क्यों.? ये सवाल मेरा नहीं है ये सवाल उन सभी बुढे माँ - बाप पूछ रहे है कि उनका कसूर क्या है, जो कि इस बुढ़ापे में उनको अलग कर दिया गया है, क्या उनका कसूर सिर्फ  इतना है कि उन्होंने बच्चों को पाल - पॉश के बड़ा किया उनको बचपन में हर चीज़ दी हर सुख दिया... किसी चीज़ कि कोई कमी न हो इसलिए खुद कि मेहनत के पैसे बचा के रखा ताकि बच्चों को भविष्ये में कोई कमी न हो... शायद यही उनका कसूर था उन बूढ़े माँ - बाप का  जिसकी सज़ा उनको आज दी जा रही है... खुद का घर होते हुए भी वृद्धा आश्रम में रहना पड़ता है... वाह रे वाह! आज कल के सपूतों वाह! ..
याद आ रही है उस एक छोटी सी कहानी का, जब एक पिता अपने पुत्र के साथ होते है, तभी आँगन में पेड़ पर कौआ आकर बैठता है, तब पुत्र अपने पिता से पूछता है पेड़ पर कौन बोल रहा है.? पिता ने जवाब देते है कि पेड़ पर कौआ बोल रहा है.. फिर पुत्र ने पूछ कौआ क्या होता है..? पिता ने उतर दिया कौआ एक पक्षी है l  पुत्र ने  यही प्रशन तिन - चार बार पूछता है, पिता हर बार बड़े प्यार से धैर्य से उसका जवाब देते है.. वही बेटा जब जवान होता है और पिता वृद्ध ( बूढ़े ) हो जाते है l  तब एक दिन पुत्र के कुछ दोस्त - साथी घर आते है, वृद्ध पिता जिन्हे आब ठीक से न सुनाई देता है और न दिखाई देता है,  पुत्र से पूछते है कि घर में कौन आया है ? पुत्र कहता है है कि मेरे मित्र आये है, पिता  को  ठीक से सुनाई  नहीं दिया, फिर उन्होंने पूछा, तब पुत्र ने पिता को डॉट कर कहता है कि आप को एक बार कह दिया सुनाई नहीं देता तो बार - बार क्यों पूछते हो..? ऐसा कह कर उनका अपमान करता है l  तब पिता ने कहा बेटे जब तुम छोटे से थे जब तुम्हे ठीक से सुनाई भी देता था और दिखाई भी तब भी तुम्हारे हर सवाल का जवाब प्यार से देता था क्यों कि उस समय तुम्हारा सहारा कोई नहीं था मैं था. अब मैं तुम्हारे सहारे हूँ बेटे तो तुम ऐसा कह रहे हो...! और पिता कि आँख से आँसू आ गए..l
आज कल इस तरह के बच्चे न केवल माता - पिता का अपमान करते है बल्कि उन्हें बोझ समझ कर वृद्धआश्रम में भेज देते है l  क्या यह प्रवर्ति सही है..??बहुत बड़ा सवाल है ये है... उतर हमे और आप को ढूंढना है.... जो कहीं खो सा गया है...न जाने कहाँ.!!