Wednesday 27 November 2013

तेरी लत लग गयी....

लोग भगवान से प्राथना करते है कि उन्हें कोई रोग न हो, हर कोई बीमारी से बचना चाहता है भला कौन चाहेगा कि उससे कोई बीमारी हो पर ये हमारे हाथ में थोड़ी ही है, बीमारी कब किसको हो जाये कुछ पता नहीं, मुझे भी एक  बीमारी हो गयी है अब इस बीमारी को क्या बोलूँ, हर कोई बीमारी से दूर भागना चाहता है पर  मैं चाहता हूँ कि ये बीमारी मुझे कभी न छोडे, आप लोग भी सोच रहे होंगे कि कृष्णा पगला गया है, जो बीमारी से छुटकारा नहीं चाहता l सही में मैं इस बीमारी से छुटकारा नहीं चाहता, मेरे ऑफिस के कुछ दोस्त लोग बोलते है क्या लिखता रहता पुरे दिन..कोई बोलता है ब्लॉगर बनेगा कोई बोलता है बहुत आगे जायेगा, मेरे दोस्त लोग मेरी इस बीमारी को देख के बोलते है ये सब, क्योंकि  मेरी  इस बीमारी का नाम है ब्लॉग लिखने कि बीमारी, NDTV  के ऑडियंस सेल में काम करता हूँ, मुक़ाबला और हम लोग शो के लिए रिसर्च करना होता है, लोगो से बात करता हूँ, उनकी बात सुनता  हूँ, अपनी बात रखता हूँ, अच्छा  लगता है, पर जब  कभी खाली रहता था  कोई जादा काम नहीं होता था तब सोचता था कुछ लिखूँ, रोज़  नए ख्याल आते थे मन में  क्या लिखूँ ,कहाँ लिखूँ ,कैसे लिखूँ..???? बहुत सारे  सवाल आते थे मन में पर कुछ लिखना था बस फिर शुरू किया अपना  ब्लॉग लिखना कभी किसी मुद्दे पे कभी किसी पे, घर से निकलता था रास्ते  में बहुत सारे मुद्दे दीखते थे सोचता था सब पे लिख दूँ अभी के अभी, बस अभी लैपटॉप  होता और खोल  के सब लिख देता, चलो फिर मन में हुआ  ऑफिस चल के लिखता हूँ...   मन ही मन बहुत खुश होता, था हॅसता था, ऑफिस पहुचँ के अपनी दोस्त तस्नीम को ये सब बताता था, ये मुद्दे वो मुद्दे सिर्फ  मुद्दे ही मुद्दे, पूछता था किसपे लिखूँ तस्नीम बोलती थी इसपे लिखो ये मुद्दा सही है, और उसको पता है कि मैं कुछ और ही लिखूँगा, और वो ही  लिखता था जो मन में होता था, नहीं पता था कि ग़लत  लिख रहा  हूँ  या सही बस लिखना था बीमारी जो लग है लिखने कि, फिर तस्नीम कि याद आती है लिखने के बाद, फिर वो पढ़ती है गलती निकालती है, फिर ठीक करता हूँ, ब्लॉग पे पोस्ट कर के फिर तस्नीम को पढता  हूँ, फिर खुद पढता हूँ खुश होता हूँ, तस्नीम को बोलता हूँ एंड कैसा लगा, बोलती है बहुत अच्छा.... और खुशी होती है , अरे भाई तारीफ़ किसको पसंद नहीं है, मज़ा आता ब्लॉग लिख के, ये बीमारी मेरी और बढ़े बहुत अधिक बढ़े  जाये ..... क्यों कि मुझे  तो ब्लॉग तेरी लत लग गयी, ज़माना कहे  लत ये अच्छी  लग गयी.....