Tuesday 31 December 2013

कभी - कभी दिल चाहता है कुछ ऐसा हो जाए,

आज बिता हुआ बचपन याद आया तो सोच क्यों न इस याद को अपने उसी बचपन के शब्द से लिखूं..





कभी - कभी दिल चाहता है कुछ ऐसा  हो जाए,
पेपर हो पर रिजल्ट न आए..
क्लास हो पर मस्टराइन न आए,
बस में बैठे पर स्कूल न जाए
पिकनिक जाए और वापिस न आए
हफ्ते में 3 दिन हो और फिर संडे आए...
सोते रहे  दिन भर, शाम को घूमने जाएँ ....
रात को पढ़ने बैठे और लाइट चली जाए..
हम बिलकुल न पढ़ें और पास हो जाएँ...
सब दोस्त एक साथ रहे और छुट्टियां मनाएं .....
पहली नज़र में हर लड़की से प्यार हो जाए...
जिससे चाहते है दिल से वो हमेसा के लिए अपना हो जाए...
बारिश में भीगें और जोर से गाएँ...
भीड़ से दूर एक दुनियाँ बनाएं..
साड़ी ज़िन्दगी बस यूँ ही कट जाए,
काश ये सारे सपने सच हो जाएँ...
कभी कभी दिल चाहता है कुछ ऐसा हो जाए.....

कृष्णा नन्द राय