Tuesday 7 January 2014

बस यूँ ही मैंने आज कुछ लिख दिया यारों........

फिर कोई पत्ता पेड़ से झड़ गया यारों
कौन सा फर्क किसी को पेड़ गया यारों
नौकरानी  को तनख्वाह कम क्या मिली

"अंकल सैम" हम से उखड़ गया यारों
इस बाजू पाकिस्तान क्या कम था ?
जो आज चीन उस बाजू से चढ़ गया यारों
वो अनाज जो किसान ने ही उगाया था

वो उसी की आस में भूखों मर गया यारों
जो भीतर रखा उससे सियासी चूहे खा गए
जो बाहर था वो बारिश में सड़ गया यारों

"रोटी न दी" सरकार ने "रोटी की गारंटी" दी
पेट पिचक के तब तक सिकुड़ गया यारों
"देश  की माँ " किस  कदर परेशान हो गयी
जब "पप्पू " इम्तिहान में पिछड़  गया यारों
"टोपी वाला " वाला भी अजब फितरत का निकला
जिसके कंधे पे बैठा, उसीसे  लड़ गया यारों
जानवरों को कटने से बचाने की फुर्सत किसे ?

देश "गे" रक्षा के लिए लड़ गया यारों
हुकूमत to "दामाद" का सूट सजाती रही

यहाँ वतन का पायजामा उधड़ गया यारों
शहीदों की बरसी पे सन्नाटा पसरा रहा
वतन "सनी लियोन" के शो में उमड़ गया यारों
सियासत  के मेले में इस कदर भीड़ - भाड़ थी
"आप" का लोकपाल उनसे बिछड़ गया यारों
जिक्र "निर्भया" का जब भी कहीं भी
" गाफ़िल " शर्म से ज़मीं  में गड़ गया यारों  
मैं पुरानी बातों पे अभी भी अटका हूँ यहाँ
साल, कब का आगे बढ़ गया यारों...
बस यूँ ही मैंने  आज कुछ लिख दिया यारों........

आपका
कृष्णा नन्द राय