Wednesday 15 January 2014

हर पल तेरे साथ हूँ.....



इस रोज़ दौड़ भाग कि ज़िन्दगी में कौन कब मिल जाए कुछ पता नहीं,  कोई इस ज़िन्दगी में ऐसा आता है जैसे मानो कोई नया ख्वाब जिसकी न कोई आसा थी न ही उमीद, जीसे भुलाने को मन नहीं करता.... भूल नहीं सकता मैं भी वो शाम जब कोई  ख्वाब किसी  हक़ीकत जैस लग रहा था, शायद वही हक़ीकत जो मैं सोचा करता था.... उस  शाम वो ख्वाब मेरे सामने थी... कुछ विश्वास  दिखा उस सपने में, एक नयी चमक थी उसके चेहरे पे, दिल एक बार के लिए थम सा गया उसकी बात को सुन कर उसके विश्वास को देख कर, न जाने क्यों उसके बाद ने मेरे पास शब्द थे न ही कोई बात, खो सा गया था कहीं न जाने कहाँ...जिसका जवाब न दिल के पास था न ही  मन के पास.... अपने उस ख्वाब को चुप चुप के देखना, हमेसा उसी कि बात को याद करना मन ही मन हॅसना, सोचने लगा कि क्या हो गया है मुझे, पर मैं भूल गया था कि मन और दिल दोनों ही शांत हो चुके है..... खैर वो ख्वाब आँख से दूर हुई पर उसकी बात नहीं भूल पा रहा था... उसका चेहरा सामने आता रहता था... फिर उसकी कुछ दोस्त से उसका नाम पता चला, और एक दिन फिर वो ख्वाब मेरे सामने थी... ख़ुशी हुई उसे देख कर, दिल हॅस रहा था और मन कुछ सोच रहा था... बात हुई उससे अच्छा लगा.... मन ने कहा जो बात दिल में है वो सामने रख दो..  पर डर लग रहा था क्योकि पहली बार कोई सपना सामने था, डर था कि कहीं टूट न जाए.. घुमा फिरा  के बात सामने रखी... इंतज़ार था जवाब का, जवाब मिला तो  दिल चुप हो गया मन ने कहा जो जवाब मिला है उसको स्वीकार करो... फिर भरे दिल से उसके जवाब को सच मान लिया.. फिर एक दिन बाद उसने बात कि और जवाब दिया मेरे उस प्रशन का जो दिल ने पूछा था जवाब पा के यकीं नहीं हुआ कि उसने हाँ बोला है, खुशी के मारे  उछल पड़ा था...फिर विश्वास कि बात हुई साथ देने कि बात हुई........
 फिर बात होनी लगी फिर पहली बार मिलने कि बात हुई, अज़ीब सा डर लग रहा था कि मिल के क्या बात करेंगे कैसे मिलेंगे... खैर मिलने का दिन भी आया मिले भी एक नया जोश था मिलने का एक खुशी थी ऐसी खुशी जिससे शब्द में कहूं तो शब्द  भी कम पड जाएंगे... कुछ उसे ऐसा दिया जीसे वो रोज़ देखे... फिर बात होने लगी हम मिले... एक दिन उसकी दोस्त से भी मिला मिल के खुशी हुई, कुछ समय साथ बिताया  हम लोगो ने... फिर एक दिन हम दोनों एक हैप्पी ड्राइव ( Happy Drive ) पे गए कुछ पल साथ बिताए जो भूल नहीं सकते.... ऐसा  पल जीसे  पाकर हम दोनों बहुत खुश थे....कोई शब्द नहीं है उस खुशी को इज़हार करने के लिए.. उसे खुश रखना मेरा पहला  फ़र्ज़ है.. एक दिन उसने कहा कि उसकी बहन मिलना चाहती है मुझसे ये सुन कर हमे टेंशन हुई कि क्या पूछेंगी क्या बोलेंगी, हम लोग फिर मिले बात हुई और आख़िर उसकी बहन ने हमे पास कर दिया... एक दिन हम लोग एक मेट्रो स्टेशन पे मिल के कुछ समय साथ बिताया कुछ अपनी बात एक दूसरे के सामने रखी दिल, इस दौरान आँसुवों ने साथ दिया... दिल हल्का हुआ... फिर हमने कुछ खाया.... कितना अच्छा  पल था न वो जो अब याद बन गया है जीसे सोच कर खुशी होती है, कितना अच्छा पल था न काश ऐसे पल हर दम आए... हर दम कुछ खुशी पल ऐसे बन जाए जीसे हम अकेले हो कर भी याद कर तो अकेलापन न लगे.... किसी ने सही कहा है..
खूबसूरत सा कोई पल एक किस्सा बन जाता है,
न जाने कब कोई ज़िन्दगी का हिस्सा बन जाता है,
ज़िन्दगी में कुछ लोग ऐसे भी मिलते है,
जिनसे कभी न टूटने वाला रिस्ता बन जाता है...

आपका 
कृष्णा नन्द राय