Saturday 26 April 2014

मेरा मुद्दा मेरी सोच ब्लॉग .. कृष्णा अब भारी हो चला हैं..!

सब अपने  छोड पराया कौन हैं..
तू हैं साथी तो फ़िर हराया कौन हैं..
मैं समझता नहीं क्या बातें सबकी..
कृष्णा देख सुनानें कहानी आया कौन हैं..!

मेरे पीछें करता हैं वो बातें रूख़सरी..
सामनें मेरे मेरा दीदार करता हैं..!

कैसे करता हैं वो ऐसे कारनामें..
तौबा कृष्णा बाबू  यें शातिर भी हैंरान रहता हैं..!

किसी दिन वो कर आऐगा मेरे वज़ूद का सौदा..
इश्तेहार जो मोहब्बत का मैंनें हाथ में दे रक्खा हैं..!

सोचा था इज़हार करूं मैं भी अपने दर्द का..
खामोश पन्नों को देख खामोश रह गया..!

अब फ़िर कहेंगे तुम्हारे बारे में अपने  ब्लॉग  में डाल..
मेरा मुद्दा मेरी सोच ब्लॉग ..  कृष्णा अब भारी हो चला  हैं..!

आपका
कृष्णा नन्द राय