Saturday 26 April 2014

यहाँ बात बात पर कोई नहीं लिखता...

कौन करे कोई कानूनी वादें..
कौन करे अब समाज़ी बकवासे..
जब ज़र्रा-ज़र्रा तेरे दिल का दलाली हो..
और जब आरोप प्रत्यारोप का दौर हो....
तो फ़िर कौन करे हक की बातें..!

बात पे बात कौन करें..
रात पे रात कौन जगे..
जब तु समझनें को तैयार ही ना हो..
तो फ़िर आँखें चार कौन करें..

बस नसीब नसीब  की बात है कृष्णा ..
वर्ना बात बात पे ब्लॉग कौन लिखे....

बड़ी मुद्दतोँ बाद मैँने ये कोशिश की..
तेरे नाम से लिखने  की कोशिश की..
"मेरा मुद्दा... मेरी सोच" तुझे नाम दिया
बस कृष्णा बाबू लिखते रहना
यहाँ बात बात कोई नहीं लिखता...

तुम्हारा ब्लॉगर
कृष्णा नन्द राय