जिस्मों में..
मुहब्बत किराये की झोपड़ी में, बीमार पड़ी है
आज
भी..
काँप रही है हर बच्ची, कभी ऐसी शाम न
आये
कहीं कल के अखवारों में,
उसका नाम न आये ....
आपका
कृष्णा नन्द राय
मुहब्बत किराये की झोपड़ी में, बीमार पड़ी है
आज
भी..
काँप रही है हर बच्ची, कभी ऐसी शाम न
आये
कहीं कल के अखवारों में,
उसका नाम न आये ....
आपका
कृष्णा नन्द राय