Monday 13 October 2014

ख्वाईसें थी, ख्वाईसें रह गई..


ख्वाईसें, ख्वाईसें रह गई
कुछ धुँधली, कुछ अधूरी रह गई
आज शीशा साफ किया
हाथ में एक धूल रह गई
एक कहानी लिख ली
एक कहानी अधूरी रह गई
एक ख्वाईस तुम्हारी थी
वो एक ख्वाईस हमारी थी
ख्वाईसें, ख्वाईसें रह गई
कुछ पूरी, कुछ अधूरी रह गई
ये ख्वाईसें, ख्वाईसें रह गई
ख्वाईसें थी, ख्वाईसें रह गई..

आपका,
कृष्णा नन्द राय