अभी मेरे दिल में प्यार के अरमान बहुत हैं ,
ये अलग बात के हम इश्क़ की बातो से परेशान बहुत हैं।
बचपन में सुना था कि यहाँ भगवान बहुत हैं,
मगर अब जिधर देखता हूँ शैतान बहुत हैं।
जिस भी शहर में घूमता हूँ पेड़ ही नहीं मिलते,
थोड़ी मोदी हरियाली है बाकी कंक्रीट जंगल बहुत हैं।
दिल बहुत गुमराह हुआ दोस्ती में भी प्यार की बातो में भी,
जुड़ने को जुड़ गया मगर जोड़ के निशान बहुत हैं।
माँगने को तो ऐ ख़ुदा मैं तुमसे बहुत कुछ माँग लूँ ,
मगर कलम पास रहने दे इतना एहसान बहुत है।
आपका,
कृष्णा नन्द राय
ये अलग बात के हम इश्क़ की बातो से परेशान बहुत हैं।
बचपन में सुना था कि यहाँ भगवान बहुत हैं,
मगर अब जिधर देखता हूँ शैतान बहुत हैं।
जिस भी शहर में घूमता हूँ पेड़ ही नहीं मिलते,
थोड़ी मोदी हरियाली है बाकी कंक्रीट जंगल बहुत हैं।
दिल बहुत गुमराह हुआ दोस्ती में भी प्यार की बातो में भी,
जुड़ने को जुड़ गया मगर जोड़ के निशान बहुत हैं।
माँगने को तो ऐ ख़ुदा मैं तुमसे बहुत कुछ माँग लूँ ,
मगर कलम पास रहने दे इतना एहसान बहुत है।
आपका,
कृष्णा नन्द राय